दरअसल, सोमवार को संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान विपक्ष ने खूब हंगामा किया, जिसके कारण दो बार स्थगित करना पड़ा। आखिरकार दोपहर दो बजे शुरू हुई और देर रात तक चली। लोकसभा और राज्यसभा में इस मुद्दे पर 16-16 घंटे की बहस निर्धारित थी। इस दौरान सरकार और विपक्ष के बीच तीखे वार-पलटवार देखने को मिले।
पहलगाम हमले पर बेनीवाल के सवाल?
बेनीवाल ने अपने भाषण में कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा की, जिसमें 26 पर्यटकों की नृशंस हत्या हुई थी। उन्होंने कहा कि इस घटना ने हर भारतीय के मन में बदले की भावना जगा दी थी, क्योंकि यह हमला पाकिस्तान द्वारा पनाह दिए गए आतंकवादियों ने अंजाम दिया था। उन्होंने सुरक्षा चूक पर सवाल उठाते हुए कहा कि पहलगाम अंतरराष्ट्रीय सीमा पर नहीं है, फिर आतंकी वहां तक कैसे पहुंचे? जहां इतने पर्यटक आते हैं, वहां सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम क्यों नहीं थे? केवल 10-15 पुलिसकर्मी ही मौजूद थे। बेनीवाल ने कहा कि इस घटना के बाद हर भारतीय प्रधानमंत्री की ओर बदले की उम्मीद से देख रहा था। उन्होंने इजराइल का उदाहरण देते हुए कहा कि भारतीयों को भरोसा था कि इस बार पाकिस्तान का इलाज हो जाएगा।
‘पाकिस्तान की मांग में भारत ने भरा सिंदूर’
ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र करते हुए बेनीवाल ने तीखा व्यंग्य कसा। उन्होंने कहा कि 22 अप्रैल को पहलगाम हमला हुआ और 8 मई की रात को ऑपरेशन सिंदूर शुरू हुआ। दो दिन तक चले इस ऑपरेशन के बाद सरकार ने दावा किया कि पाकिस्तान घुटनों पर आ गया। मीडिया ने कहा कि कराची पहुंच गए लाहौर पर कब्जा कर लिया और इस्लामाबाद पर झंडा फहराने वाले हैं। बेनीवाल ने मजाकिया लहजे में कहा कि हमें लगा कि बस, हो गया काम। सरकार ने ऑपरेशन का नाम सिंदूर रखा, तो लगा कि भारत ने पाकिस्तान की मांग में सिंदूर भर दिया। इस पर अर्जुन मेघवाल सहित कई सांसद ठहाके मारकर हंस पड़े। बेनीवाल ने हंसते हुए सांसदों को टोकते हुए कहा कि हंसो मत।
उन्होंने आगे कहा कि हमारे हिंदू धर्म में सिंदूर का मतलब है कि महिलाएं इसे अपने पति के प्रतीक के रूप में मांग में भरती हैं। तो भारत ने पाकिस्तान के अंदर सिंदूर भर दिया, अब तो पाकिस्तान भारत की पत्नी हो गई। बस, विदाई बाकी है। इस व्यंग्य ने पूरे सदन को हंसी से भर दिया। पास बैठे सांसद चंद्रशेखर और राजकुमार रोत भी अपनी हंसी नहीं रोक पाए।
सेना के सम्मान में रात 12 बजे तक बोले
बेनीवाल का समय समाप्त होने पर घंटी बज गई, लेकिन उन्होंने रुकने से इनकार कर दिया। उन्होंने कटाक्ष किया कि 10.30 या 11 बजे बुलवाते हो, खबर अखबार में छपती नहीं। अब तो सोशल मीडिया से ही काम चलेगा। उन्होंने कहा कि अगर हम यहां बैठे हैं तो इसका मतलब है कि हम मजबूत लोग हैं। सेना के सम्मान के लिए रात 12 बजे तक भी सदन में बैठेंगे। बेनीवाल के भाषण ने न केवल ऑपरेशन सिंदूर की सफलता पर गर्व जताया, बल्कि सुरक्षा चूकों पर गंभीर सवाल उठाकर सरकार को कटघरे में खड़ा किया।