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जयपुर

Rajasthan: पंचायत व निकाय चुनावों में कहां अटका है रोड़ा? परिसीमन की उलझन या कुछ और? जानें ‘इनसाइड स्टोरी’

Rajasthan Politics: राजस्थान में पंचायती राज और स्थानीय निकाय चुनावों को लेकर लंबे समय से अनिश्चितता बनी हुई है। प्रदेश की जनता बेसब्री से इन चुनावों का इंतजार कर रही है

जयपुरJul 26, 2025 / 06:13 pm

Nirmal Pareek

Panchayati Raj and local body elections in Rajasthan

(राजस्थान पत्रिका फोटो)

Rajasthan Politics: राजस्थान में पंचायती राज और स्थानीय निकाय चुनावों को लेकर लंबे समय से अनिश्चितता बनी हुई है। प्रदेश की जनता बेसब्री से इन चुनावों का इंतजार कर रही है। बताया जा रहा है कि परिसीमन और पुनर्गठन की प्रक्रिया की वजह से चुनाव टाले जा रहे हैं। चर्चा है कि भजनलाल सरकार ‘वन स्टेट-वन इलेक्शन’ की तर्ज पर दिसंबर 2025 तक पंचायती राज संस्थाओं और शहरी निकायों के चुनाव एक साथ कराने की दिशा में काम कर रही है।
इस बीच, हाईकोर्ट ने भी सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग से सवाल किया था कि 6,500 से अधिक ग्राम पंचायतों और 50 से ज्यादा नगर निकायों के चुनाव कब तक कराए जाएंगे। अप्रैल में दाखिल शपथपत्र में सरकार ने बताया कि पुनर्गठन और परिसीमन की प्रक्रिया मई-जून तक पूरी होगी, जिसके बाद चुनाव की तारीखें तय की जाएंगी। हालांकि, यह प्रक्रिया अभी भी पूरी नहीं हुई है।
बता दें, प्रदेश की 6,500 से अधिक पंचायती राज संस्थाओं और 50 से ज्यादा नगर निकायों का कार्यकाल पहले ही समाप्त हो चुका है। जनवरी 2025 में पंचायतों का कार्यकाल खत्म होने के बाद सरकार ने सरपंचों को प्रशासक नियुक्त किया था, जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई।

‘वन स्टेट-वन इलेक्शन’ के पक्ष में सरकार

बताते चलें कि भजनलाल सरकार ‘वन स्टेट-वन इलेक्शन’ की अवधारणा को लागू करने की दिशा में तेजी से काम कर रही है। सरकार का मानना है कि एक साथ चुनाव कराने से समय और संसाधनों की बचत होगी, प्रशासनिक समन्वय बेहतर होगा, और बार-बार आचार संहिता लागू होने से विकास कार्यों में रुकावट नहीं आएगी।
स्वायत्त शासन एवं यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने एक बयान में कहा है कि पंचायतों और निकायों के चुनाव एक साथ कराने से प्रक्रिया सरल होगी और संसाधनों का बेहतर उपयोग होगा।

कैबिनेट सब-कमेटी की क्या है भूमिका?

सूत्रों के मुताबिक पंचायती राज संस्थाओं के पुनर्गठन के लिए गठित कैबिनेट सब-कमेटी जल्द ही अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी। कमेटी के सदस्य और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री अविनाश गहलोत ने बताया कि अगले 15 से 20 दिनों में लगातार बैठकों के बाद रिपोर्ट तैयार कर ली जाएगी। यह रिपोर्ट मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को सौंपी जाएगी, जिनके स्तर पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
मंत्री गहलोत ने संकेत दिए कि यदि सब कुछ योजना के अनुसार हुआ तो दिसंबर 2025 तक पंचायतों और नगर निकायों के चुनाव एक साथ कराए जा सकते हैं।

चुनाव में देरी का क्या है कारण?

परिसीमन और पुनर्गठनराज्य निर्वाचन आयोग ने एक आरटीआई के जवाब में स्पष्ट किया है कि फिलहाल पंचायती राज और निकाय चुनावों के लिए कोई प्रस्ताव उनके पास नहीं है। आरटीआई के माध्यम से राज्य निर्वाचन आयोग से पूछा गया था कि 30 मई 2025 तक जिन पंचायती राज संस्थाओं और नगर निकायों का कार्यकाल समाप्त हो चुका है, उनके चुनाव कब तक कराए जाने प्रस्तावित हैं, साथ ही प्रस्तावित चुनाव कार्यक्रम की जानकारी भी मांगी गई थी।
आयोग ने अपने जवाब में स्पष्ट किया कि पंचायती राज संस्थाओं और नगरीय निकायों के आगामी आम चुनावों के लिए परिसीमन और पुनर्गठन का कार्य राज्य सरकार के स्तर पर प्रक्रिया में है। इस कारण, आम चुनावों की तारीखों और कार्यक्रम के बारे में जानकारी चुनावों की आधिकारिक घोषणा से पहले उपलब्ध कराना संभव नहीं है।
RTI का आयोग ने दिया जवाब

हार के डर से चुनाव टाल रही सरकार

आरटीआई कार्यकर्ता और कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता संदीप कलवानिया ने बताया कि नगरीय निकायों एवं पंचायतीराज संस्थाओ का पांच साल का कार्यकाल पूरा हो गया है, लेकिन सरकार परिसीमन एवं पुर्नगठन के नाम पर चुनाव टाल रही है। जबकिं संविधान के अनुच्छेद 243 (ई) (यू) में पांच साल का कार्यकाल पूरा होने पर चुनाव करना आवश्यक है। भाजपा सत्ता आने के जनता से किए वादों में विफल है इसलिए हार के डर से चुनावों से डर रही है।

पुनर्गठन और परिसीमन की प्रक्रिया

बता दें, पुनर्गठन की रिपोर्ट में नए परिसीमन, वार्ड निर्धारण और जिला परिषदों की संरचना पर सुझाव शामिल किए जा रहे हैं। जानकारी के अनुसार, ग्राम पंचायतों की सीमाएं तय की गई हैं, कई जगह नई पंचायतें जोड़ी गई हैं, जबकि कुछ पुरानी पंचायतों को खत्म कर दिया गया है। कई गांवों को शहरी निकायों जैसे नगर परिषद या नगर निगम का हिस्सा बनाया गया है।
इसके अलावा, 28 जिलों और 130 से अधिक नगर निगम, नगर परिषद और नगर पालिकाओं के 3,400 से अधिक वार्डों की सीमाएं दोबारा तय की गई हैं। हालांकि, परिसीमन के लिए 2021 की जनगणना का उपयोग नहीं हो सका, क्योंकि यह अभी तक पूरी नहीं हुई है। इसलिए, 14 साल पुरानी जनगणना को आधार बनाया गया है, लेकिन वार्डों में आबादी विस्तार को ध्यान में रखा गया है।
जानकारी अनुसार, पिछली कांग्रेस सरकार ने 78 प्रतिशत तक डेविएशन के साथ वार्डों का गठन किया था, जिससे कुछ वार्डों में 1,700-1,800 वोटर और कुछ में 6,000 से अधिक वोटर हो गए थे। इस असमानता को दूर करने के लिए नए सिरे से परिसीमन किया गया है। अब सबसे बड़ा वार्ड 6,000 वोटरों का होगा, जबकि सबसे छोटा 4,800 वोटरों से कम नहीं होगा।

अक्तूबर तक वोटर लिस्ट की तैयारी

बताया जा रहा है कि सरकार ने अगस्त में राज्य निर्वाचन आयोग से मतदाता सूची तैयार करने का आग्रह करने की योजना बनाई है। अक्टूबर के पहले पखवाड़े तक मतदाता सूची तैयार हो जाएगी, जिसके बाद चुनाव अधिसूचना जारी होगी। संसाधनों और तैयारियों के आधार पर दिसंबर 2025 में सभी नगरीय निकायों के चुनाव एक साथ हो सकते हैं।

विपक्ष कर रहा है लगातार हमला

पंचायती राज और निकाय चुनावों को लेकर विपक्ष ने सरकार पर लगातार हमला बोला है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आरोप लगाया कि सरकार हार के डर से चुनाव टाल रही है, क्योंकि उसे जमीनी हालात का अंदाजा है। पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने भी कहा कि सरकार जनता के विरोध के बावजूद पंचायतों का पुनर्गठन कर रही है, ताकि वह अपनी हार को टाल सके।

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