यात्रा के दौरान नागपुर से आए अघोरी कलाकार और बस्तररिया के पारंपरिक नृत्य और वाद्य दल श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बने। पहली बार शामिल हुए मद्देड़ के पारंपरिक वाद्य कलाकारों की थाप और स्वर लहरियों ने यात्रा को विशिष्ट गरिमा प्रदान की।
Sawan Somwar: पांच वर्षों से चल रही परंपरा
पुजारी चंदन तिवारी ने बताया कि पांच वर्ष पूर्व इस पालकी यात्रा की शुरुआत की गई थी, जो अब शहर की धार्मिक पहचान बन चुकी है। हर वर्ष इसमें श्रद्धालु, जनप्रतिनिधि और दूर-दराज के ग्रामीण भक्तजन बड़ी संख्या में शामिल होते हैं। यात्रा के दौरान जगह-जगह श्रद्धालु पालकी में विराजमान
भगवान शिव की आरती करते रहे, भजनों की स्वर लहरियों के बीच पूरा नगर ’’हर हर महादेव’’ के जयकारों से गूंज उठा।
Sawan Somwar: मंदिर के पुजारी रोमित राज त्रिपाठी ने जानकारी देते हुए बताया कि पूरे सावन माह में रूद्राभिषेक और विशेष श्रृंगार दर्शन का आयोजन प्रतिदिन हो रहा है। अब तक शिव के अर्धनारीश्वर, ललिता देवी, शांत स्वरूप, महाकाल और रूद्र अवतार जैसे रूपों में श्रृंगार किया जा चुका है। आने वाले दिनों में शिव के अन्य रूपों का श्रृंगार दर्शन कराया जाएगा।