scriptकारगिल विजय दिवस पर याद किए गए बस्तर के सपूत, जिन्होंने भारत को दिलाई जीत, जानें नायकों की कहानी | Kargil Vijay Diwas: The sons of Bastar were remembered on Kargil Vijay Diwas | Patrika News
जगदलपुर

कारगिल विजय दिवस पर याद किए गए बस्तर के सपूत, जिन्होंने भारत को दिलाई जीत, जानें नायकों की कहानी

Kargil Vijay Diwas: कारगिल युद्ध में बस्तर के दो वीर सैनिक विजय झा और अर्जुन पांडे ने अदम्य साहस का परिचय दिया। अर्जुन ने सीमा पार ऑपरेशन विजय को अंजाम दिया, वहीं विजय ने दुश्मन की रणनीति डिकोड कर सेना को बढ़त दिलाई। जानिए उनकी प्रेरक कहानी।

जगदलपुरJul 26, 2025 / 05:13 pm

Laxmi Vishwakarma

कारगिल विजय दिवस पर विशेष (Photo source- Patrika)

कारगिल विजय दिवस पर विशेष (Photo source- Patrika)

Kargil Vijay Diwas: कारगिल विजय दिवस न केवल एक सैन्य सफलता का प्रतीक है, बल्कि यह उन असंख्य वीर सैनिकों की वीरता, समर्पण और बलिदान की कहानी भी है, जिन्होंने भारत की संप्रभुता की रक्षा के लिए अपने प्राणों की बाज़ी लगा दी। ऐसे ही दो जांबाज़ सपूत हैं बस्तर के विजय झा और अर्जुन पांडे, जिनकी भूमिका कारगिल युद्ध के दौरान बेहद निर्णायक रही।
जहां विजय झा ने दुश्मन की साजिशों को समय रहते भांपकर रणनीति को विफल किया, वहीं अर्जुन पांडे ने ऑपरेशन विजय के अंतर्गत सीमा पार जाकर गुप्त मिशन को अंजाम देकर भारत की विजय में अहम योगदान दिया। आज जब देश कारगिल विजय की 25वीं वर्षगांठ मना रहा है, तब इन वीरों की कहानियाँ एक बार फिर प्रेरणा बनकर सामने आ रही हैं।

बहादुरी और समर्पण की अहम भूमिका

कारगिल विजय दिवस के अवसर पर आज पूरा देश उन वीर सैनिकों को याद कर रहा है, जिन्होंने 1999 के युद्ध में भारत को विजय दिलाने के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। इस ऐतिहासिक युद्ध में बस्तर के दो जांबाज़, विजय झा और अर्जुन पांडे ने भी अपनी बहादुरी और समर्पण से अहम भूमिका निभाई थी।
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युद्ध की शुरुआत: चरवाहे से मिली थी पहली सूचना

कारगिल युद्ध की पृष्ठभूमि तब बनी जब एक स्थानीय चरवाहे ने सूचना दी कि पाकिस्तानी सेना भारतीय सीमा में घुसपैठ कर चुकी है। यह उस समझौते के खिलाफ था जिसमें ठंड के मौसम में दोनों देशों द्वारा सीमा पर सैन्य उपस्थिति नहीं रखने की बात थी। सेना ने तुरंत पेट्रोलिंग टीम भेजी, लेकिन उनसे संपर्क टूट गया और बाद में उनके शव बरामद हुए।
Kargil Vijay Diwas

दुश्मन की रणनीति को तोड़ा

इस संकट की घड़ी में विजय झा को पाकिस्तान और चीन से आने वाले सिग्नल पकड़कर उन्हें डिकोड करने की जिम्मेदारी दी गई। उन्होंने दुश्मन के संचार तंत्र को भेदकर अहम खुफिया जानकारियां दिल्ली और सेना के उच्च अधिकारियों तक पहुंचाईं, जिससे युद्ध में भारत को निर्णायक रणनीतिक लाभ मिला।
Kargil Vijay Diwas

सीमा पार ऑपरेशन में शामिल रहे अर्जुन पांडे

अर्जुन पांडे उस समय ब्रिगेड ऑफ द गॉर्ड्स रेजिमेंट की मैक इन्फेंट्री यूनिट में पोखरण में तैनात थे। युद्ध शुरू होते ही जवानों की छुट्टियाँ रद्द कर दी गईं और उन्हें 24 घंटे स्टैंडबाय पर रखा गया। अर्जुन की यूनिट को विशेष प्रशिक्षण देकर सीमा पार गुप्त मिशन पर भेजा गया।
उन्होंने पाकिस्तान की सीमा में 4 किलोमीटर अंदर घुसकर शंकरगढ़ में ऑपरेशन विजय को अंजाम दिया। यह एक रणनीतिक मिशन था जिसका उद्देश्य दुश्मन की स्थिति की जानकारी एकत्र करना था, न कि हमला करना। उनकी टीम ने सुरक्षित वापसी कर मिशन को सफल बनाया। आज अर्जुन पांडे छत्तीसगढ़ पुलिस विभाग में सेवा दे रहे हैं।
Kargil Vijay Diwas

दुश्मन की साजिशें डिकोड करने वाले विजय झा

विजय झा कारगिल युद्ध के दौरान द्रास सेक्टर में सिग्नल मैन के रूप में तैनात थे। उनकी भूमिका थी पाकिस्तान और चीन से आने वाले सिग्नलों को डिकोड करना और महत्वपूर्ण जानकारी सेना व उच्च अधिकारियों तक पहुँचाना।
युद्ध के चरम समय में उनकी यूनिट पर मिसाइल हमला हुआ, जिसमें उनकी टीम के सभी सदस्य घायल हो गए और विजय झा के दोनों पैर भी चोटिल हो गए। एक महीने तक बिस्तर पर रहने के बाद ही वे फिर से चलने में सक्षम हो सके। उनकी सूझबूझ और तकनीकी विशेषज्ञता ने भारतीय सेना को दुश्मन की रणनीति समझने में बड़ी मदद की। वर्तमान में विजय झा अपनी सिक्योरिटी एजेंसी का संचालन कर रहे हैं।

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