नियमानुसार कोई भी होटल या रेस्टॉरेंट पानी देने से इंकार नहीं कर सकता
Consumer rights : शहर में जिस गति से खाने के रेस्टॉरेंट, फूड कॉर्नर और होटल खुल रहे हैं उसी तेजी से ग्राहकों को लूटने का काम भी हो रहा है। ग्राहकों अधिकारों का हनन करने में कोई कमी नहीं छोड़ी जा रही है। संचालकों द्वारा खाने की सर्विस तो पूरी दी जा रही है, लेकिन पीने के लिए मुफ्त का पानी देने के बजाय ग्राहकों को जबरदस्ती पैक्ड बॉटल खरीदने को मजबूर भी किया जा रहा है। पानी मांगने पर भी होटल प्रबंधक जग या गिलास में फ्री पानी नहीं देते। ऐसे में लोगों 20 रुपये में एक लीटर की बोतल लेने को मजबूर होना पड़ रहा है।
सिविक सेंटर स्थित पराठों के लिए फेमस रेस्टॉरेंट में कुछ दिन पहले पहुंचे एक परिवार ने जब साधारण पानी मांगा तो उन्हें देने से इंकार कर दिया गया। जब उन्होंने बॉटल लेने से मना किया तो कहा किया बाहर टंकी में रखा है खुद ही लेकर पी लें। इस पर ग्राहक और सर्विस दे रहे कर्मचारी की बहस भी हो गई। मजबूरी में उन्हें बॉटल वाला पानी खरीदना पड़ा।
Consumer rights : केस 2 – हमारे यहां खुला पानी नहीं देते
इसी तरह कढ़ी चावल वाले रेस्टॉरेंट में गिलास और जग में पानी नहीं दिया जाता है। यहां लोगों को जबरदस्ती दस और बीस रुपए वाली पानी की बोतलें ही दी जाती हैं। ग्राहकों के मांगने पर उन्हें हाथ धोने के वॉश बेसिन के पास रखे गंदे से कंटेनरों से पानी लेकर पीने को कहा दिया जाता है।
Consumer rights : नियमानुसार ऐसा नहीं कर सकते संचालक
एड. सचि खरे ने बताया किसी भी रेस्टोरेंट में खाने से पहले पानी के लिए पूछा जाना चाहिए। जिसमें नॉर्मल वाटर या बोतलबंद पानी का ऑप्शन रहता है। यह ग्राहकों पर निर्भर करता है कि वह कौन सा पानी चाहता है। लेकिन जबलपुर में ऐसे कई होटल व रेस्टोरेंट हैं जो पानी का विकल्प नहीं दे रहे हैं। इससे लोगों को बोतल बंद पानी मजबूरी में लेना पड़ रही है। एफएसएसएआई के नियमानुसार अगर कोई भी होटल-रेस्टोरेंट पानी की बोतल जबरदस्ती पकड़ाता है या फिर मुफ्त साफ पानी देने से इनकार करता है तो आप इसकी शिकायत कंज्यूमर कोर्ट में की जा सकती है। जिसके बाद रेस्टोरेंट पर जुर्माना लगाने के साथ उस पर सख्त कार्रवाई की जा सकती है।
Consumer rights : उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत कोई भी रेस्टॉरेंट या होटल वाले खुला पानी इंकार नहीं कर सकते हैं। यह ग्राहकों के विवेक पर निर्भर करता है कि वह पैक्ड पानी चाहता है या आरओ का पानी। जबरदस्ती नहीं की जा सकती है।
एड. नाज पांडे, नागरिक उपभोक्ता मंच
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