तल्ख लहजे में लिखी चिट्ठी
इंदौर (Indore) की आठ बार सांसद रहीं महाजन समय-समय पर शहर के विकास को लेकर चिट्ठी लिखकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराती रहती हैं। मंगलवार को महापौर भार्गव को तल्ख लहजे में लिखी चिट्ठी से बवाल हो गया। कहना था कि इंदौर के विकास को लेकर आपसे बात साझा करना है। आपने कहा था कि आएंगे, लेकिन व्यस्तता के कारण संभव नहीं हुआ। आपने अच्छे काम किए हैं, कुछ घोषणा भी की है। भारत वन के बारे में चर्चा करनी है। आप समय दें तो मैं चर्चा करने आ जाऊंगी।
चर्चा में ये भी बोलीं ताई
इंदौर के महापौर बहुत अच्छे व्यक्ति हैं, बहुत अच्छे कार्य कर रहे हैं। मैं उनको सुझाव भी देती हूं, जिसे वे सहज भाव से स्वीकार भी करते हैं। रही बात व्यस्तता की तो मैं बहुत अच्छे से समझती हूं, जब मैं लोकसभा स्पीकर थी तब मैं भी बहुत व्यस्त रहती थी।
मिलने पहुंचे महापौर तो बोलीं ताई- गला खराब था इसलिए लिख दी…
इसके बाद शाम 5 बजे महापौर भार्गव ताई से मिलने पहुंच गए। आशीर्वाद लिया और पूछ लिया ताई चिट्ठी लिखने की क्या आवश्यकता थी, बोल देते तो मैं यूं ही आ जाता। ताई का कहना था कि ‘मैंने तो सहज भाव से लिख दी थी, लेकिन यह वायरल कैसे हो गई मुझे नहीं पता। तुम अच्छा काम करते हो, इसलिए बोलने को मन करता है। शहर के विकास को लेकर सुझाव है, तुम इम्प्लिमेंट करते हो। गला खराब था इसलिए लिख दी।’
अगली बार मुझे SMS कर देना ताई
सुमित्रा ताई की बातें सुनने के बाद महापौर पुष्यमित्र भार्गव उनसे कहा कि ताई अगली बार से आप मुझे एसएमएस कर देना। ये है पूरे घटनाक्रम का लब्बोलुआब
पोलो ग्राउंड चौराहे के पास की जमीन पर नगर निगम ऑक्सीजोन के रूप में विकसित कर भारत वन बनाने जा रहा है। इसको लेकर रामबाग के लोग आपत्ति ले रहे हैं। ताई के पत्र में भी इसका उल्लेख था, जिस पर चर्चा की गई। इसके अलावा राजेंद्र नगर ओवर ब्रिज के नामकरण के विवाद को लेकर भी ताई ने अपना पक्ष रखा। यहां पर ब्राह्मण समाज महामना की प्रतिमा के नाम करवाना चाहता है तो मराठी समाज मल्हारराव होलकर का नाम से चाहता है। इसके अलावा शहर में अंडरग्राउंड मेट्रो को लेकर भी ताई ने महापौर भार्गव से जानने का प्रयास किया। इस पर भार्गव ने स्पष्ट कर दिया कि मेट्रो कंपनी ने सुझाव के बाद में आगे क्या किया ये जानकारी नहीं मिली है। जैसे ही मिलती है वे अवगत कराएंगे।
ताई को हैं सारे अधिकार
दोपहर में एक कार्यक्रम के दौरान ताई के खत को लेकर महापौर भार्गव ने कहा कि ताई से मिलने का समय तय हुआ था, लेकिन वे बाहर चली गई थीं, बाद में मैं बाहर चला गया। ताई के मार्गदर्शन में ही काम करते हैं और भारत वन व मेट्रो ट्रेन में भी उनका सुझाव महत्वपूर्ण है। बात रही ताई के बोलने की तो वह हम सबको बोल सकती हैं। मैं तो हर दो माह में मिलने जाता हूं, जो काम किए वह बताता हूं और जो करने वाले हैं उन पर भी बात करता हूं।