scriptसब्ज बाग दिखाकर बेचे फ्लैट व प्लॉट, मौके पर न सुविधाएं मिली, न आशियाना, रेरा ने निकाला 15.19 का बकाया | शिखा वर्मा ने जैतल विहार में 22 लाख 53 हजार रुपए खर्च कर 1250 स्क्वायर फीट का फ्लैट खरीदा। 2017 में उन्हें फ्लैट का पजेशन मिलना था। छह महीने का ग्रेस पीरियड समाप्त होने के बाद बिल्डिंग का निर्माण पूरा नहीं हुआ। | Patrika News
ग्वालियर

सब्ज बाग दिखाकर बेचे फ्लैट व प्लॉट, मौके पर न सुविधाएं मिली, न आशियाना, रेरा ने निकाला 15.19 का बकाया

शिखा वर्मा ने जैतल विहार में 22 लाख 53 हजार रुपए खर्च कर 1250 स्क्वायर फीट का फ्लैट खरीदा। 2017 में उन्हें फ्लैट का पजेशन मिलना था। छह महीने का ग्रेस पीरियड समाप्त होने के बाद बिल्डिंग का निर्माण पूरा नहीं हुआ।

ग्वालियरJul 25, 2025 / 05:48 pm

Balbir Rawat

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शिखा वर्मा ने जैतल विहार में 22 लाख 53 हजार रुपए खर्च कर 1250 स्क्वायर फीट का फ्लैट खरीदा। 2017 में उन्हें फ्लैट का पजेशन मिलना था। छह महीने का ग्रेस पीरियड समाप्त होने के बाद बिल्डिंग का निर्माण पूरा नहीं हुआ। 6 साल तक अधूरा पड़ा रहा। अपने सपनों के घर के लिए लंबा इंतजार किया, लेकिन घर नहीं मिला। इसके बाद रेरा में शिकायत की। रेरा ने 22 लाख 53 हजार रुपए 18 फीसदी ब्याज सहित वापस करने का आदेश दिया, 1 लाख रुपए मानसिक पीड़ा मिली, उसके अलग दिए जाने का आदेश दिया, लेकिन बिल्डर से पैसा नहीं मिला। अकेला ऐसा केस नहीं है, जिन्हें कॉलोनाइजरों ने सब्ज बाग दिखाए और आशियाना नहीं मिला। ऐसे 149 केस हैं। जिन्हें बिल्डर व कॉलोनाइजर से धोखा मिला। रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) का 149 प्रकरणों में 15.19 करोड़ का बकाया निकला। इस बकाए पर बिल्डर व कॉलोनाइजरों की संपत्तियां भी कुर्क कर ली। तहसीलदारों ने आरआरसी जारी कर नीलामी की तैयारी की है।
दरअसल शहर का तेज गति से विस्तार हुआ है। नई कॉलोनी, टाउनशिप भी तैयार हुई। इन टाउनशिप में लोगों के सामने सुविधाओं का पिटारा खोल दिया, दो साल में फ्लैट का पजेशन भी दिए जाने का आश्वासन दिया। 24 घंटे पानी सहित लिफ्ट, पार्क, पार्किंग बिजली, ड्रेनेज सिस्टम, सिक्योरिटी की गारंटी दी, लेकिन बिल्डर समय पर अपना प्रोजेक्ट पूरा नहीं कर पाए। इधर लोगों ने बैंक से फाइनेंस लेकर घर खरीदे। जब बिल्डर ने वादा पूरा नहीं किया ते लोगों ने रेरा में शिकायत की। रेरा ने शिकायत को सही पाते हुए बिल्डर पर जुर्माना व राशि लौटाने का आदेश दिया। रेरा ने जिला प्रशासन को 149 केसों की जानकारी भेजी है। 15.19 करोड़ रुपए का बकाया भी बताया है।

पांच प्रकरणों में जमा हुए 89.74 लाख

रेरा के आदेश के बाद प्रशासन ने बिल्डरों की संपत्ति कुर्क की और उसे नीलामी की शुरुआत की तो पांच बिल्डरों ने 89 लाख 74 हजार रुपए जमा करा दिए। इससे पीडि़त को पैसे मिल गए।
– सिटी सेंटर व मुरार में सबसे ज्यादा टाउनशिप विकसित हो रही है। इस क्षेत्र में घर खरीदना लोगों को ज्यादा पसंद है, लेकिन रेरा में इस ओर विकसित होने वाली टाउनशिप में वादे पूरे नहीं हो सके हैं।
– सबसे ज्यादा समय पर प्रोजेक्ट पूरा न करने की शिकायतें हैं। यदि दो साल में प्रोजेक्ट पूरा नहीं होता है तो 6 महीने का ग्रेस पीरियड मिलता है, लेकिन ग्रेस पीरिएड में भी प्रोजेक्ट पूरा नहीं किया।

इस तरह की शिकायतें कर सकते हैं रेरा में

-कब्जे में देरी: यदि बिल्डर ने समझौते में निर्धारित समय पर कब्जा नहीं दिया है, तो आप रेरा में शिकायत दर्ज करा सकते हैं।

-भुगतान में अनियमितता यदि बिल्डर ने अधिक भुगतान लिया है या आपसे वादे के अनुसार शुल्क नहीं लिया है, तो आप शिकायत कर सकते हैं।
-परियोजना में अनियमितता यदि परियोजना में कोई अनियमितता है, जैसे कि परियोजना के डिजाइन या सुविधाओं में बदलाव, तो आप शिकायत दर्ज करा सकते हैं।

-दस्तावेजों में धोखाधड़ी यदि बिल्डर ने आपको गलत दस्तावेज दिखाए हैं या धोखाधड़ी की है, तो आप शिकायत कर सकते हैं।
-रेरा में अन्य शिकायतें भी दर्ज की जा सकती हैं, जैसे कि बिल्डर द्वारा नियमों का उल्लंघन, उचित रखरखाव न करना, आदि।

– रेरा की सर्किट बैंच ग्वालियर में लगती थी, लेकिन कोविड-19 के बाद से सुनवाई के लिए बैंच नहीं आई। पोर्टल पर ऑनलाइन शिकायत कर सकते हैं।

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