यह पहल जागरूकता बढ़ाने के लिए की है
यह पहल Cervical (सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया) के द्वारा कैंसर और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के प्रति जागरूकता बढ़ाने और बच्चों को इन गंभीर बीमारियों से बचाने के उद्देश्य से की गई है। एचपीवी वायरस विभिन्न प्रकार के कैंसर का कारण बन सकता है, खासकर सर्वाइकल कैंसर, जो महिलाओं में आम है।
लड़के, लड़कियों … दोनों का होगा टीकाकरण
इसके अलावा, एचपीवी वायरस के कारण गले, मुंह और जननांगों के कैंसर भी हो सकते हैं। इसलिए, विश्वविद्यालय ने यह कदम उठाया है ताकि बच्चों को इस वायरस से सुरक्षा मिले और वे स्वस्थ रहें। “एचपीवी का टीका हमारे कैंसर से बचाव की लड़ाई में एक महत्वपूर्ण उपकरण है। इस कार्यक्रम के तहत, यह टीका लड़कों और लड़कियों दोनों को दिया जाएगा, ताकि दोनों लिंगों में व्यापक प्रतिरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
वेक्सिनेशन का यह था द्वितीय चरण
यह कार्यक्रम सर्वाइकल कैंसर वैक्सीनेशन का द्वितीय चरण है। इस कार्यक्रम का प्रथम चरण 30 मई को GUWWA हाॅल गोरखपुर विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित किया गया था। द्वितीय चरण का आयोजन 30 जुलाई को महिला अध्ययन केंद्र के अंतर्गत,गोरखपुर विश्वविद्यालय के गृह विज्ञान विभाग में आयोजित किया गया।
टीकाकरण का सबसे प्रभावी समय 11 से 12 वर्ष
गोरखपुर विश्वविद्यालय परिसर जिसमें विश्वविद्यालय के शिक्षकों एवं कर्मचारियों के बच्चों के लिए टीकाकरण श्री एपी सिंह के द्वारा किया गया। उन्होंने बताया कि टीकाकरण का सबसे प्रभावी समय 11 से 12 वर्ष की आयु के बीच होता है, क्योंकि इस उम्र में यह सबसे अच्छा सुरक्षा प्रदान करता है। एचपीवी का टीका हमारे कैंसर से बचाव की लड़ाई में एक महत्वपूर्ण उपकरण है। इसे युवा पीढ़ी को मुफ्त में उपलब्ध कराकर, हम भविष्य में इन कैंसरों का बोझ कम करने और जानें बचाने की उम्मीद करते हैं।
बच्चों को वैक्सीन देने से पहले उनके स्वास्थ्य का मूल्यांकन
यह कार्यक्रम प्रो दिव्या रानी सिंह निर्देशिका, महिला अध्ययन केंद्र , प्रो विनय सिंह (मुख्य नियंता गोरखपुर विश्वविद्यालय ),डॉक्टर शिखा सिंह (अंग्रेजी विभाग), डॉ अनुपम कौशिक,डॉ नीता सिंह (गृह विज्ञान विभाग),रसायन विभाग की सहायक प्रोफेसर डॉ प्रीति गुप्ता एवं गोरखपुर विश्वविद्यालय के स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा वैक्सीनेशन लगाने की प्रक्रिया को सुचारू रूप से चलाया गया। बच्चों को वैक्सीन देने से पहले उनके स्वास्थ्य का मूल्यांकन किया गया और फिर उन्हें एचपीवी वैक्सीन लगाई गई, वैक्सीनेशन पूरी तरह से निःशुल्क था।