रविकिशन शुक्ला ने कहा कि
“भारत जैसे विशाल देश में लाखों की संख्या में ढाबे और होटल हैं, जहाँ हर दिन करोड़ों लोग भोजन करते हैं, किंतु इन प्रतिष्ठानों में परोसे जाने वाले भोजन की मात्रा को लेकर कोई मानक निर्धारित नहीं है। ग्राहक को केवल कीमत का पता चलता है, लेकिन उसे यह जानकारी नहीं होती कि उस मूल्य में वह कितनी मात्रा का भोजन प्राप्त कर रहा है।”
उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि
एक ही दाल की कीमत किसी ढाबे में ₹120 हो सकती है, तो किसी 5-सितारा होटल में वही ₹1200 तक। मेन्यू कार्ड में कीमत तो होती है, पर मात्रा का कहीं कोई उल्लेख नहीं। ग्राहकों को यह नहीं समझ आता कि चार लोगों के लिए कितना ऑर्डर करें – इससे या तो भोजन की कमी हो जाती है या व्यर्थ बर्बादी।
उन्होंने सुझाव दिया कि
मेन्यू कार्ड में हर व्यंजन की स्पष्ट मात्रा अनिवार्य रूप से दर्शाई जाए, भोजन में प्रयुक्त कुकिंग मीडियम (जैसे सरसों तेल, रिफाइंड, देसी घी आदि) की जानकारी भी दी जाए, बिस्कुट, ब्रेड, दूध आदि पैकेज्ड फूड की तरह व्यंजनों की ‘नेट क्वांटिटी’ का उल्लेख अनिवार्य किया जाए।
रवि किशन शुक्ला ने आगे कहा
“यह आश्चर्यजनक है कि इतना बड़ा फूड मार्केट किसी भी प्रकार के मानकों और नियंत्रण के बिना चल रहा है। हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने देश के हर क्षेत्र में ऐतिहासिक सुधार किए हैं। अब समय आ गया है कि खाद्य व्यवसाय में पारदर्शिता और उपभोक्ता हित के लिए स्पष्ट नियम-कानून बनाए जाएं।” अंत में उन्होंने भारत सरकार से देश के सभी स्तरों के फूड सर्विंग प्रतिष्ठानों के लिए ‘कीमत + गुणवत्ता + मात्रा’ का विधिक मानकीकरण सुनिश्चित करने हेतु तत्काल कार्यवाही की मांग की।