धौलपुर. जम्मू-कश्मीर के पहलगाव में घूमने गए पर्यटकों पर हुए आंतकी हमले ने देशवासियों को झकझोर दिया है। देश के लोगों में इस घटना से आक्रोश है और हर व्यक्ति अपने तरीके से नाराजगी जता रहा है। उधर, हाल में कश्मीर घूम कर आए शहर के कुछ युवाओं से वार्ता की तो उन्होंने कहा कि भ्रमण के दौरान किसी तरह की कोई परेशानी नहीं आई। गाइड और घोड़ा मालिक समेत अन्य स्थानीय लोग पर्यटकों की मदद के साथ उनका काफी सहयोग करते थे। उन्होंने कहा कि घटना किस वजह से हुई और कैसे हो गई, ये समझ से परे हैं। उन्होंने कहा कि पहलगाव की घाटियों को मिनी स्विटरजरलैंड भी कहा जाता है। ये खूबसूरत वादियों हर किसी का दिल जीत लेती है लेकिन इस आतंकी घटना से निराश कर दिया। हालांकि, वे कहते हैं कि इन नापाक इरादों से कोई डरने वाला नहीं है। वापस कभी मौका मिलेगा तो फिर जाएंगे घूमने…।
मिनी स्विटरजरलैंड है वैरन वैली…खूबसूरत नजारे शहर में सब्जी मण्डी स्थित जैन गली निवाी जय अग्रवाल ने बताया कि उनका टूर 4 मार्च को कश्मीर रवाना हुआ था। करीब सात दिन का टूर था और और ग्रुप में 9 बड़े और 6 छोटे बच्चे शामिल थे। बताया कि सभी आनंद के साथ श्रीनगर, गुलमर्ग, सोनमार्ग, पहलगाव, वैरन वैली, डल लेक इत्यादि खूबसूरत स्थानों का भ्रमण किया। युवा अग्रवाल ने बताया कि पहलगाव में वैरन वैली को मिनी स्विटरजरलैंड बोला जाता है। उस समय घाटी में बर्फबारी हो रही थी और मनमोहक नजारा था। जय ने बताया कि वह और ग्रुप पहलगाव से ऊपर की तरफ भी घूमने गए थे लेकिन किसी तरह की कोई समस्या नहीं आई।
सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त, हौसला बढ़ाते हैं सैनिक जय ने बताया कि श्रीनगर में चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त हैं। थोड़ी सी दूरी पर बीएसएफ, सेना और अद्र्ध सैनिक बलों के जवान अलर्ट मोड पर रहते हैं। सुरक्षा को देख उन्हें जरा भी डर नहीं लगा। हम बेतान वैली, आबू वैली और चंदनवाडी तक घूम कर आए कोई समस्या नहीं आई। पर्यटन स्थानीय लोगों का मुख्य व्यवसाय है और वह खूब सपोर्ट करते हैं।
परिवार के साथ गए घूमने, घाटियों ने मोहा पीजी कॉलेज स्थित कॉलोनी निवासी टोनी भी अपने परिवार के साथ श्रीनगर, पहलगाव समेत कई स्थान घूम कर आ चुके हैं। उन्होंने कहा कि वह भय जैसा कुछ नहीं था। बोली की वजह से कुछ परेशानी आई लेकिन यहां का भ्रमण अलग ही है। टोनी कहते हैं कि इस घटना ने बहुत दु:ख पहुंचाना है। सरकार को आतंकियों के खिलाफ सख्त एक्शन लेना चाहिए, जिससे वे वापस इस तरह की जुर्रत नहीं कर पाएं।