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दोपहर में स्त्री के सोने से क्या होता है नुकसान, सीहोर वाले पं. प्रदीप मिश्रा से जानिए

Pandit Pradeep Mishra: कुबेरेश्वर धाम सीहोर (एमपी) के संस्थापक और शिव पुराण कथा वाचक पं. प्रदीप मिश्रा के देश दुनिया में लाखों अनुयायी हैं। ये कथा के दौरान प्रवचन में जीवन जीने के बताए तरीके और सुखी होने के उपाय भी बताते हैं। आइये जानते हैं पं. प्रदीप मिश्रा ने एक प्रवचन में दोपहर में स्त्री के सोने पर क्या नुकसान बताया।

भारतMay 20, 2025 / 03:16 pm

Pravin Pandey

pandit pradeep mishra sehore wale ke upay

pandit pradeep mishra sehore wale ke upay: पंडित प्रदीप मिश्रा का प्रवचन

Woman Sleeping Afternoon: इन दिनों गर्मी का मौसम चल रहा है। आपमें से कई लोग वो चाहें स्त्री हों या पुरुष, सामान्य कामकाज के बाद फुर्सत के समय में भोजन आदि के बाद कुछ क्षण आराम और सोने के लिए निकालते होंगे।
लेकिन एक प्रवचन में कथा वाचक पं. प्रदीप मिश्रा (Pandit Pradeep Mishra) ने दोपहर में स्त्री के सोने का जो फल बताया, उससे बहुत संभव है कि आप अपनी लाइफस्टाइल पर फिर से विचार करें। आइये जानते हैं कि प्रवचन में पं. प्रदीप मिश्रा ने क्या कहा


दोपहर में स्त्री के सोने से बड़ा नुकसान (Sehore Wale Pandit Ji Ka Pravachan)

पं. प्रदीप मिश्रा के अनुसार जिस घर में दोपहर में स्त्री सोती है, उस घर में दुख और दरिद्रता वास करती है। घर वालों को कंगाली का जीवन बिताना पड़ता है। इसलिए जिन स्त्रियों में ऐसी आदत हैं उन्हें बदलना चाहिए। इससे उनके दुखों और आर्थिक परेशानी का हल उन्हें मिल जाएगा।


इन कारणों से भी घर में आती है दुख और दरिद्रता (Pandit Pradeep Mishra Ka Pravachan)


इसके अलावा जिन लोगों के घर में कांटेदार पेड़ पौधे लगे होंगे, और रात में जूठे बर्तन छोड़ दिए जाएंगे, उस घर में दुख दरिद्रता जरूर जाएगी। साथ ही ऐसे घर से सुख शांति दूर हो जाती है।
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कैसे बने कथा वाचक

सीहोर में साधारण परिवार में जन्मे प्रदीप मिश्रा उर्फ रघुराम की प्रख्यात कथा वाचक बनने के कथी बड़ी रोचक है। बताते हैं कि रघुराम के पिता रामेश्वर मिश्रा ज्यादा पढ़े लिखे नहीं थे, और चाय की दुकान से परिवार चलाते थे। इस दुकान पर प्रदीप भी पिता का हाथ बंटाते थे, लेकिन इनकी बचपन से ही भजन कीर्तन में भी रूचि थी और मौका मिलने पर स्कूल में भजन कीर्तन में आगे रहते थे।

इससे सीहोर के ही एक ब्राह्मण परिवार की महिला गीता बाई पराशर ने उन्हें कथा वाचक बनने के लिए प्रेरित किया और गुरुदीक्षा के लिए इंदौर में श्री विठलेश राय काका जी के यहां भेजा। यहां पं. मिश्रा ने पुराणों का ज्ञान प्राप्त किया। इसके बाद वो शिव मंदिर में कथा कहने लगे। फिर धीरे धीरे लोग उन्हें कथा के लिए बुलाने लगे।

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