श्रीराम की चरण-धूलि से पावन स्थल
मान्यता है कि वनवास काल के दौरान भगवान श्रीराम, माता सीता और भ्राता लक्ष्मण ने इस मंदिर में आकर भगवान रूद्रेश्वर महादेव की आराधना की थी। यह तथ्य इस मंदिर को रामायण काल से जोड़ता है और इसकी पवित्रता को और अधिक बढ़ाता है।रुद्रेश्वर महादेव का मंदिर छत्तीसगढ़ के प्रमुख शिवालयों में शामिल
धमतरी जिला मुख्यालय से नौ किमी व रायपुर से 87 किमी दूर रुद्री में स्थित रुद्रेश्वर महादेव का मंदिर छत्तीसगढ़ के प्रमुख शिवालयों में शामिल है। महानदी के तट पर स्थित इस मंदिर का इतिहास हजारों साल पुराना है। सावन में यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचकर पूजा-अर्चना करते हैं। यहां के स्वयंभू शिवलिंग की महिमा ही है कि मांगी मुराद पूरी हो जाती है।माघ पूर्णिमा का भव्य मेला: 52 गांवों की आस्था का संगम
प्रत्येक वर्ष माघ पूर्णिमा पर मंदिर परिसर में विशाल धार्मिक मेला आयोजित किया जाता है। इस अवसर पर आसपास के 52 गांवों के देवी-देवता रूद्रेश्वर महादेव के दर्शन हेतु मंदिर पहुंचते हैं। श्रद्धालु अलसुबह चित्रोत्पला महानदी में पवित्र स्नान कर भगवान शिव को जलाभिषेक अर्पित करते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है। यही वजह है कि इस मंदिर की ख्याति दूर-दूर तक फैली है।
चंद्रवंशी राजा रुद्रदेव चंद्रवंशी के शासनकाल में हुआ था निर्माण
मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य पंडित राजा तिवारी ने बताया कि रुद्रेश्वर महादेव मंदिर छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में स्थित एक अद्भुत शिव मंदिर है। यह भगवान शिव का अतिप्राचीन मंदिर है, जिसका निर्माण कांकेर विरासत के चंद्रवंशी राजा रुद्रदेव चंद्रवंशी के शासनकाल में हुआ था। सालभर इस मंदिर में रूद्रेेश्वर महादेव के दर्शन के लिए स्थानीय लोगों और पर्यटकों का तांता लगा रहता है।जानिए इसकी विशेषता
मंदिर का निर्माण 1915 में हुआ है। मंदिर का आकार आयताकार है। महानदी के तट पर विराजित होने के कारण रूद्रेश्वर महादेव मंदिर की अपनी एक अलग ही विशेषता है। जिले का यह इकलौता ऐसा मंदिर है, जहां मंदिर के मुख्य दरवाजे पर एक ओर कांशी के कोतवाल श्रीकालभैरव बाबा और दूसरी ओर माता शीतला विराजमान है। इनके अलावा रूद्रेश्वरी माता, दिव्य राम दरबार भी विराजित हैं।बारह शिवलिंगों की अनूठी उपस्थिति
यह प्रदेश का पहला ऐसा मंदिर है, जहां मुख्य द्वार के नीचे बारह शिवलिंग स्थापित हैं। इन सभी शिवलिंगों के अलग-अलग नाम हैं और प्रत्येक का अपना धार्मिक महत्व है। इन शिवलिंगों के पास ही सदियों पुराना कदम का वृक्ष भी स्थित है, जो इस स्थल की प्राचीनता का जीवंत प्रमाण है। गर्भगृह में प्रतिदिन अलसुबह 5 बजे से चित्रोत्पला महानदी के जल से भगवान रूद्रेश्वर महादेव का जलाभिषेक किया जाता है। सावन महीने में यहां रूद्राभिषेक करने के लिए भक्तों की भीड़ लग रही है। महादेव को कांशी के सुंगंधित द्रव्यों से निर्मित भस्म का लेप अर्पित किया जाता है।
25 वर्षों से जल रही अखंड ज्योति
मंदिर का संचालन रूद्रेश्वर महादेव परिवार समिति द्वारा किया जाता है, जिसे जाधव परिवार देखरेख करता है। वर्ष 2000 से यहां अखंड ज्योति प्रज्वलित है, जो लगातार 25 वर्षों से बिना बुझी जल रही है। श्रद्धालु अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति हेतु इस ज्योति में तेल अर्पित करते हैं। सावन महीने में गुरूपूर्णिमा से अखंड रामायण पाठ अनवरत जारी है। इसका समापन रक्षाबंधन के दिन होगा। मंदिर में सुबह-शाम रूद्रेश्वर भगवान का विशेष श्रृंगार किया जाता है। सावन में कई राज्यों से जलाभिषेक करने भक्त पहुंचते हैं।रूद्रेश्वर महादेव मंदिर के चलते इस गांव का नाम रूद्री
स्थानीय लोगों ने बताया कि रूद्रेश्वर महादेव मंदिर के चलते इस गांव का नाम रूद्री रखा गया है। यहां की ग्राम देवी माता शीतला के प्रति ग्रामीणों की आगाध आस्था है।यहां कैसे पहुंचें
धमतरी जिले में सड़क, रेल और हवाई मार्गों का एक सुस्थापित जाल है। छत्तीसगढ़ के विभिन्न हिस्सों से धमतरी पहुँचने के लिए विभिन्न एक्सप्रेस ट्रेनें, सरकारी बसें और उड़ानें उपलब्ध हैं।निकटतम रेलवे स्टेशन:- धमतरी रेलवे स्टेशन
निकटतम हवाई अड्डा:- रायपुर हवाई अड्डा।