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दंतेवाड़ा

बस्तर में शांति और पुनर्जीवन की नई शुरुआत, ‘पूना मारगेम’ बना सामाजिक बदलाव का वाहक

Bastar News: नक्सलियों के क्रूर और जनविरोधी विचारधारा का अंत कर सम्पूर्ण बस्तर को स्थायी शांति, समावेशी विकास और सामाजिक सौहार्द की ओर अग्रसर करना है।

दंतेवाड़ाJul 24, 2025 / 11:14 am

Laxmi Vishwakarma

अभियान एक नई और सशक्त शुरुआत (Photo source- Patrika)

अभियान एक नई और सशक्त शुरुआत (Photo source- Patrika)

Bastar News: बस्तर रेंज के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शांति, विकास और सामाजिक पुनर्स्थापना की दिशा में ‘पूना मारगेम- पुनर्वास से पुनर्जीवन’ अभियान एक नई और सशक्त शुरुआत है। यह केवल एक पुनर्वास कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक समावेशी सामाजिक आंदोलन है, जिसका उद्देश्य समाज के सभी वर्गों की भागीदारी से दंतेवाड़ा को स्थायी शांति, सामाजिक सौहार्द और समृद्धि की दिशा में ले जाना है।

Bastar News: अभियान बस्तर रेंज के सातों जिलों में…

गौरतलब है कि भारत सरकार एवं छत्तीसगढ़ राज्य सरकार की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति से प्रेरित होकर, पिछले 18 महीनों में दंतेवाड़ा जिले में 81 इनामी माओवादियों सहित कुल 353 से अधिक माओवादियों ने हिंसा का मार्ग छोड़कर सामाजिक मुख्यधारा को अपनाया है। इनमें वरिष्ठ नेतृत्व से लेकर आधार क्षेत्र के सक्रिय कैडर तक शामिल हैं।
यह पहल आत्मसमर्पित माओवादियों को आत्मनिर्भर, सम्मानजनक और सुरक्षित जीवन प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह अभियान बस्तर रेंज के सातों जिलों- सुकमा, दंतेवाड़ा, बीजापुर, नारायणपुर, कोंडागांव, बस्तर और कांकेर- में चरणबद्ध रूप से संचालित किया जा रहा है।

माओवादी कैडरों से आत्मसमर्पण कर पुनर्वास का लाभ उठाने की अपील

‘पूना मारगेम- पुनर्वास से पुनर्जीवन’ केवल एक सरकारी योजना नहीं, बल्कि आशा और विश्वास का प्रतीक है। यह माओवादियों को यह संदेश देता है कि बदलाव संभव है, और अब वह समय आ चुका है।
माओवादियों से अपील की गई है कि वे हिंसा का मार्ग त्यागें और समाज की मुख्यधारा से जुड़ें। अपने परिवार, समाज और राष्ट्र के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझें और शांति, सौहार्द एवं पुनर्वास के मार्ग को अपनाएं।
यह निर्णय न केवल आत्मसमर्पण करने वालों के भविष्य को सुरक्षित करेगा, बल्कि एक शांतिपूर्ण, समरस और प्रगतिशील बस्तर के निर्माण में उनकी भागीदारी भी सुनिश्चित करेगा।

मुख्यधारा में लौटे सभी आत्मसमर्पित माओवादियों को सरकार की पुनर्वास योजनाओं में सम्मिलित किया गया है, जिनमें शामिल हैं: कौशल विकास प्रशिक्षण स्वरोजगार एवं आजीविका संवर्धन

मनोवैज्ञानिक परामर्श

माओवादी कैडरों से संपर्क स्थापित कर उन्हें प्रतिबंधित माओवादी संगठन से बाहर आने के लिए प्रेरित करना।

आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति-2025 के लाभों से उन्हें अवगत कराना।

उन्हें यह एहसास कराना कि माओवादी संगठन अब दिशाहीन एवं नेतृत्वविहीन हो चुका है, और यह सही समय है कि वे नया जीवन आरंभ करें।
आत्मसमर्पित माओवादियों को पुनर्वास केंद्रों में कौशल विकास प्रशिक्षण उपलब्ध कराना ताकि वे समाज की मुख्यधारा में पुन: एकीकृत होकर सम्मानपूर्वक जीवन यापन कर सकें।

उनके भीतर यह विश्वास जगाना कि वे परिवर्तन के वाहक बन सकते हैं और दंतेवाड़ा की शांति, सुरक्षा और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

Bastar News: माओवादी विचारधारा का खात्मा, शांति की स्थापना

‘पुनर्वास से पुनर्जीवन’ अभियान का उद्देश्य केवल माओवादियों को आत्मसमर्पण के लिए प्रेरित करना नहीं है, बल्कि उनकी क्रूर और जनविरोधी विचारधारा का अंत कर सम्पूर्ण बस्तर को स्थायी शांति, समावेशी विकास और सामाजिक सौहार्द की ओर अग्रसर करना है।

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