डाउन बदला, लेकिन फिर भी नहीं चले
लीड्स में खेले गए पहले टेस्ट में करुण नायर को छठे नंबर के बल्लेबाज के तौर पर खिलाया गया। पहली पारी में वह खाता खोलने में भी सफल नहीं हो सके तो दूसरी पारी में वह महज 20 रन बना पाए। उस मैच में भारत को पांच विकेट से हार का सामना करना पड़ा। फिर दूसरे एजबेस्टन टेस्ट में साई सुदर्शन को बाहर कर उन्हें नंबर तीन पर आजमाया गया। जिसकी पहली पारी में वह 31 रन तो दूसरी पारी में सिर्फ 26 रन बनाकर चलते बने। उस मैच में शुभमन गिल ने अकेले ही 400 से अधिक रन बनाकर टीम को जीत दिलाई थी।
लगातार 3 टेस्ट में फ्लॉप शो के बाद हुए बाहर
तीसरा टेस्ट लॉर्ड्स में खेला गया था, जिसमें नायर ने नंबर तीन पर खेलते हुए पहली पारी में 40 रन और दूसरी पारी में महज 14 रन ही बनाए। लगातार तीन मैचों में फ्लॉप होने के बाद उन्हें चौथे टेस्ट से बाहर का रास्ता दिखाते हुए फिर से साई सुदर्शन को मौका दिया गया, जिन्होंने पहली पारी में 60 तो दूसरी पारी में शून्य बनाया।
आखिरी टेस्ट में भी मिला मौका, लेकिन फिर रहे नाकाम
लंदन के ओवल में खेले जा रहे सीरीज के आखिरी और पांचवें टेस्ट में करुण नायर का डाउन बदलकर नंबर पांच पर आजमाया गया। इस मैच की पहली पारी में उन्होंने 57 रन बनाए तो दूसरी पारी में महज 17 रन बनाकर आउट हो गए। इस तरह सीरीज के चार मैचों की 8 पारियों में वह 25.62 के औसत से सिर्फ 205 रन ही बना सके। इस बेहद साधारण प्रदर्शन को देख अब उनका अंतरराष्ट्रीय टेस्ट करियर खत्म माना जा रहा है।