फिल्टर प्लांट का बिल आधा करोड़ से अधिक
नगर निगम की सबसे अधिक बिजली की खपत फिल्टर प्लांटों में होती है, भरतादेव फिल्टर प्लांट में एक एचटी कनेक्शन, धरमटेकरी फिल्टर प्लांट एवं अजनिया इंटेकवेल में दो एचटी कनेक्शन लगे हुए हैं जहां लगभग 65 से 70 लाख रुपए तक का हर माह बिजली खर्च हो जाता है। इसके अलावा स्ट्रीट लाइट का खर्च एलईडी लगाने के बावजूद 15 से 17 लाख रुपए मासिक, सभी कार्यालयों की खपत लगभग 5 से 6 लाख रुपए महीने हैं। पेयजल सप्लाई करने के लिए लगभग 20 लाख रुपए का खर्च ट्यूबवेल पर भी होता है।
आठ से 10 मेगावाट तक की है जरूरत
निगम के अधिकारियों ने बताया कि नेटमीटरिंग के माध्यम से जहां जहां उनके कार्यालय भवन है, वहां 1.7 मेगावाट तक की बिजली का उत्पादन किया जा सकता है, इसमें भरतादेव फिल्टर प्लांट की पुरानी छत का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। जबकि पूरी खपत के लिए 8 से 10 मेगावाट बिजली की जरूरत पड़ेगी। यह सिर्फ ओपन एक्सेस तरीके से उत्पन्न की जा सकती है। यदि किसी मद से उन्हें फंड का सपोर्ट हो जाएगा तो आने वाले समय में सोलर पैनल से उत्पन्न बिजली से निगम के उपक्रमों को बिजली सप्लाई दी सकती है।
इनका कहना है
ऊर्जा विकास निगम की ओर से रेस्को मॉडल के माध्यम से सोलर पैनल की तैयारियां चल रही हैं, उनके विभाग ने ऐसे करीब 70 से अधिक शासकीय विभागों की सूची भेजी है जहां सोलर पैनल से बिजली उत्पन्न की जा सकती है। -खुशियाल शिववंशी, अधीक्षण अभियंता, बिजली कंपनी सोलर पैनल के रेस्को मॉडल के आधार पर नेट मीटरिंग प्रणाली से बिजली लेने की तैयारी चल रही है। स्थान देखा जा रहा है, जहां निगम के पार्टनर के रूप में कार्य करने वाली कंपनी अपना सिस्टम लगाएगी। निगम उससे आधे दर में बिजली खरीदकर, बिजली के खर्च को काफी करेगी। -सीपी राय, आयुक्त नगर निगम