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छतरपुर

शहीद की पत्नी बोली- ऑपरेशन सिंदूर ने लौटाया खोया हुआ सम्मान, लिया बदला

पीएम मोदी और सेना ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत आतंकियों को निशाना बनाया, तो लगा जैसे हमारे वर्षों पुराने जख्मों पर मरहम लगा है। हमारे सिंदूर की कीमत किसी आंकड़े में नहीं मापी जा सकती।

छतरपुरMay 10, 2025 / 10:19 am

Dharmendra Singh

sahid

शहीद की पत्नी

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रेल को हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की शहादत के बाद भारत सरकार की तरफ से चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर ने देश को झकझोर कर रख दिया है। इस सैन्य कार्रवाई को जहां एक ओर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद के खिलाफ भारत की कड़ी चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है, वहीं दूसरी ओर देश के शहीद परिवारों के लिए यह एक भावनात्मक न्याय बनकर उभरा है। छतरपुर जिले के ग्राम कर्री निवासी शहीद हरीलाल अहिरवार की पत्नी रामरती बाई उन चंद वीरांगनाओं में शामिल हैं, जिनका जीवन माओवाद ने बदल डाला था। उनके लिए ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ एक जवाबी हमला नहीं, बल्कि उनके उजड़े सिंदूर और गहरे घावों का जवाब है।

शहीद की पत्नी बोलीं – सिंदूर की कीमत केवल हम जानते हैं

रामरती बाई ने बताया कि उनके पति सीआरपीएफ में 1988 में भर्ती हुए थे और 11 फरवरी 2000 को माओवादियों द्वारा एक भीषण हमले में वीरगति को प्राप्त हुए। यह हमला करकटगढ़ विहार क्षेत्र में उस समय हुआ जब चुनाव ड्यूटी पर निकले जवानों का काफिला बारूदी सुरंग की चपेट में आ गया। शहीद हरिलाल अहिरवार ने गंभीर रूप से घायल होने के बाद भी मुठभेड़ में माओवादियों से मोर्चा लिया और सीने पर गोली खाकर शहीद हो गए। भावुक होकर रामरती बाई कहती हैं आज जब पीएम मोदी और सेना ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत आतंकियों को निशाना बनाया, तो लगा जैसे हमारे वर्षों पुराने जख्मों पर मरहम लगा है। हमारे सिंदूर की कीमत किसी आंकड़े में नहीं मापी जा सकती।

बेटे राकेश का बयान – ये सिर्फ जवाब नहीं, मेरी माँ के सिंदूर का बदला है

शहीद के बेटे राकेश अहिरवार ने कहा कि वे अपनी मां की आंखों में वर्षों से छिपा दर्द देखते आए हैं। आज जब हम ऑपरेशन सिंदूर की खबर सुनते हैं, तो लगता है यह सिर्फ सैनिक कार्रवाई नहीं, बल्कि उन सैकड़ों परिवारों की चुप्पी का जवाब है, जिनका सब कुछ देश के लिए कुर्बान हो गया।
रामरती बाई की अपील-आतंकवाद का नामोनिशान मिटा दो
रामरती बाई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील करते हुए कहा, आतंकियों को धरती से नेस्तनाबूद कर दो। कोई और बहन, कोई और पत्नी, अपने सिंदूर को उजड़ता न देखे। आज ऑपरेशन सिंदूर के जरिए आप ने सिर्फ हम शहीद परिवारों को नहीं, पूरे देश को गौरवान्वित किया है।”

ऑपरेशन सिंदूर: एक सैन्य मिशन से कहीं ज्यादा

भारतीय सेना द्वारा पहलगाम हमले के बाद आतंकी ठिकानों पर की गई हवाई कार्रवाई को ऑपरेशन सिंदूर नाम दिया गया। इस नाम ने देशभर में भावनात्मक लहर पैदा की, खासकर उन महिलाओं के लिए जिनका सिंदूर देश की रक्षा में मिट गया। यह कार्रवाई एक संदेश है कि भारत न केवल अपने नागरिकों की सुरक्षा को सर्वोपरि मानता है, बल्कि अपने शहीदों और उनके परिवारों का सम्मान भी पूरी ताकत से करता है।
शहीद हरीलाल अहिरवार की चार बेटियां गेंदा बाई, राजा बाई, गिरजा देवी और राम देवी तथा एक बेटा राकेश आज भी छतरपुर शहर के सिविल लाइन थाना क्षेत्र के नया पन्ना नाका इलाके में रहते हैं। देश के लिए दिए गए उनके बलिदान को अब ऑपरेशन सिंदूर जैसे कदमों के जरिए सम्मान और न्याय मिल रहा है।

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