शहीद की पत्नी बोलीं – सिंदूर की कीमत केवल हम जानते हैं
रामरती बाई ने बताया कि उनके पति सीआरपीएफ में 1988 में भर्ती हुए थे और 11 फरवरी 2000 को माओवादियों द्वारा एक भीषण हमले में वीरगति को प्राप्त हुए। यह हमला करकटगढ़ विहार क्षेत्र में उस समय हुआ जब चुनाव ड्यूटी पर निकले जवानों का काफिला बारूदी सुरंग की चपेट में आ गया। शहीद हरिलाल अहिरवार ने गंभीर रूप से घायल होने के बाद भी मुठभेड़ में माओवादियों से मोर्चा लिया और सीने पर गोली खाकर शहीद हो गए। भावुक होकर रामरती बाई कहती हैं आज जब पीएम मोदी और सेना ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत आतंकियों को निशाना बनाया, तो लगा जैसे हमारे वर्षों पुराने जख्मों पर मरहम लगा है। हमारे सिंदूर की कीमत किसी आंकड़े में नहीं मापी जा सकती।बेटे राकेश का बयान – ये सिर्फ जवाब नहीं, मेरी माँ के सिंदूर का बदला है
शहीद के बेटे राकेश अहिरवार ने कहा कि वे अपनी मां की आंखों में वर्षों से छिपा दर्द देखते आए हैं। आज जब हम ऑपरेशन सिंदूर की खबर सुनते हैं, तो लगता है यह सिर्फ सैनिक कार्रवाई नहीं, बल्कि उन सैकड़ों परिवारों की चुप्पी का जवाब है, जिनका सब कुछ देश के लिए कुर्बान हो गया।रामरती बाई की अपील-आतंकवाद का नामोनिशान मिटा दो
रामरती बाई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील करते हुए कहा, आतंकियों को धरती से नेस्तनाबूद कर दो। कोई और बहन, कोई और पत्नी, अपने सिंदूर को उजड़ता न देखे। आज ऑपरेशन सिंदूर के जरिए आप ने सिर्फ हम शहीद परिवारों को नहीं, पूरे देश को गौरवान्वित किया है।”