सिर्फ 100 मीटर की सफाई
पिछले दिनों नगर पालिका की नींद कुछ देर के लिए खुली और वार्ड 18 स्थित नारायण बाग नाले की सिर्फ 100 मीटर की सफाई की गई। बाकी नाला जैसे का तैसा छोड़ दिया गया। रहवासी बताते हैं कि सफाई महज दिखावे के लिए की जाती है। जैसे ही मीडिया या कोई जनप्रतिनिधि आवाज उठाता है, कर्मचारी मौके पर पहुंचते हैं, तस्वीरें खिंचवाते हैं और फिर सफाई का काम अधूरा छोड़ देते हैं।
बदबू और मच्छरों के प्रकोप से परेशान
नाले के आसपास रहने वाले लोग बदबू और मच्छरों के प्रकोप से परेशान हैं। नाले के मुहाने पर फंसी पन्नियां महीनों से हटाई नहीं गईं, जिससे बारिश के समय नालों में पानी जमा होने की आशंका है। पहले भी शहर की पहली ही बारिश में कई जगहों पर जलभराव की समस्या उत्पन्न हो चुकी है। इसके बावजूद नगर पालिका के अधिकारी निरीक्षण करने की जहमत नहीं उठा रहे।वार्ड 16 की पार्षद गीता दिनेश तिवारी का कहना है कि यह हर साल की कहानी है। गर्मियों में खानापूर्ति के तहत नालों की सफाई दिखाई जाती है, लेकिन हकीकत में कुछ खास नहीं किया जाता। उन्होंने आरोप लगाया कि सफाई कर्मचारियों और जिम्मेदार अधिकारियों की निष्क्रियता के कारण शहर की जनता बीमारियों के खतरे में जीने को मजबूर है।
जल स्रोतों के संरक्षण की दिशा में प्रयास हो रहे
इधर, एसडीएम अखिल राठौर ने कहा है कि नालों की साफ-सफाई को लेकर नगर पालिका को सख्त निर्देश दिए जाएंगे। उन्होंने बताया कि जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत जल स्रोतों के संरक्षण की दिशा में प्रयास हो रहे हैं, लेकिन नालों की स्थिति चिंताजनक है और इसे गंभीरता से लिया जाएगा। शहर के हालात को देखते हुए स्पष्ट है कि यदि समय रहते सफाई नहीं हुई, तो आने वाले मानसून में छतरपुर के नागरिकों को भारी जलभराव और बीमारियों से दो-चार होना पड़ेगा।