मशीनों से खेत तालाब, फिर भी मजदूरी का भुगतान
ग्राम पंचायत सरसेड़ में जल गंगा अभियान के तहत सामुदायिक और हितग्राही खेत तालाबों का निर्माण मजदूरों के बजाय मशीनों से कराया गया। कलेक्टर पार्थ जैसवाल और जिला पंचायत सीईओ तपस्या सिंह परिहार ने जांच कमेटी गठित की। प्रभारी खंड पंचायत अधिकारी चंद्रकृपाल अहिरवार और पंचायत समन्वय अधिकारी सुजीत कुमार वर्मा की जांच में सामने आया कि स्वीकृत निर्माण कार्यों के लिए सामग्री के नाम पर ऐसे वेंडरों को भुगतान किया गया, जिन्होंने संबंधित सामग्री की आपूर्ति ही नहीं की।सीसी रोड, नाली निर्माण, रिचार्ज कुएं, रूफ वॉटर हार्वेस्टिंग समेत कई कार्यों में रेत, गिट्टी, बोल्डर आदि के फर्जी बिल लगाकर 489980 रुपए का भुगतान किया गया। जांच में पाया गया कि ये भुगतान वित्तीय नियमों के विपरीत और अनाधिकृत तरीके से हुए, जिसके चलते वसूली के आदेश जारी किए गए।
कैथोंकर में मनरेगा के गेबियन कार्य में गड़बड़ी
इसी तरह ग्राम पंचायत कैथोंकर में मनरेगा योजना के अंतर्गत स्वीकृत गेबियन स्ट्रक्चर कार्य में भी फर्जी बिलों का मामला सामने आया। जांच में पाया गया कि जय मां दुर्गा ट्रेड्स केवल सीमेंट, सरिया और सेंटरिंग का काम करता है, इनके गिट्टी, रेत, बोल्डर और अन्य निर्माण सामग्री के भुगतान के बिल बनाए गए। कुल 132618 रुपए के भुगतान को भी नियमों के विरुद्ध माना गया और सरपंच एवं सचिव से वसूली का आदेश दिया गया।
ध्वस्त गेबियन स्ट्रक्चर, आदेश के बाद भी नहीं हुई मरम्मत
जांच में यह भी पाया गया कि कैथोंकर में लाखों रुपए की लागत से बने गेबियन स्ट्रक्चर महज तीन महीने में ध्वस्त हो गए। नाराज ग्रामीणों ने सरपंच और सचिव पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए प्रशासन से शिकायत की थी। जांच कमेटी ने स्ट्रक्चर को तत्काल दुरुस्त करने के लिए 7 दिन का समय दिया था, लेकिन आज तक इसकी मरम्मत नहीं हुई और स्ट्रक्चर जर्जर हालत में पड़े हैं।