5 साल में 800% बढ़ाया सोने में निवेश
कॉरपोरेट हाउस फिजिकल गोल्ड के बजाए गोल्ड ईटीएफ खरीद रहे हैं। पिछले 5 साल में गोल्ड ईटीएफ में भारतीय कंपनियों का निवेश 800 फीसदी बढ़ गया है। मार्च 2020 में गोल्ड ईटीएफ में भारतीय कंपनियों का एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) 4,441 करोड़ रुपये था। यह मार्च 2025 में बढ़कर 36,155 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। गोल्ड ईटीएफ में कॉरपोरेट हाउसेज का एयूएम साल 2019-20 के बाद से 55 फीसदी सालाना की दर से बढ़ा है। इससे कुल गोल्ड ईटीएफ में उनकी हिस्सेदारी बढ़कर 61.4 फीसदी हो गई है। यह मार्च 2020 में 50 फीसदी से कम थी।
आम लोग भी Gold ETF में लगा रहे पैसा
आम लोगों का भी गोल्ड ईटीएफ में इन्वेस्टमेंट बढ़ रहा है। आम लोगों का गोल्ड ईटीएफ में एयूएम 1282 करोड़ रुपये से 210 फीसदी बढ़कर 3974 करोड़ रुपये हो गया है। हालांकि, गोल्ड ईटीएफ में आम लोगों की हिस्सेदारी 2020 के 16.1 फीसदी से घटकर 7.5 फीसदी रह गई है।
सोने में रिकॉर्ड तेजी से बढ़ा आकर्षण
आमतौर पर कॉरपोरेट हाउसेज, फैमिली ऑफिस और ट्रस्ट हाई लिक्विडिटी और कम रिस्क के चलते मनी मार्केट फंड या लिक्विड फंड में इन्वेस्ट करना पसंद करते हैं। लेकिन सोने में रिकॉर्ड तेजी के चलते वे गोल्ड ईटीएफ की तरफ आकर्षित हुए हैं। पिछले 5 साल में सोने की कीमतों में 86% का इजाफा (डॉलर रेट में) हुआ है। कब बढ़ती हैं सोने की कीमतें?
जब वैश्विक अर्थव्यवस्था संकट में होती है, मंदी की संभावना होती है, भू-राजनैतिक तनाव बढ़ता है, शेयर मार्केट गिरते हैं या महंगाई बढ़ती है, तो सोने की कीमतों में तेजी देखने को मिलती है। इन परिस्थितियों में सोना सेफ हेवन एसेट बन जाता है। दुनियाभर के सेंट्रल बैंक अपने देश की इकोनॉमी को सपोर्ट करने के लिए गोल्ड खरीदते हैं। निवेशक महंगाई से हेजिंग (बचाव) के लिए गोल्ड खरीदते हैं। यानी दुनिया में जब भी कुछ बहुत बुरा चल रहा हो, तो सोना निवेशकों की पहली पसंद बन जाता है। इस तरह डिमांड बढ़ने से कीमतों में तेजी आती है।