मुख्य अभियंता मीणा ने आदेश में कहा कि विभाग के अधिशाषी अभियंता नरेश कुमार रैगर, अधीक्षण अभियंता राजेश पुरोहित एवं वरिष्ठ सहायक कुशाल आचार्य के ठेकेदारों के साथ मिलकर भ्रष्टाचार करने की शिकायत मिली है। इसकी जांच के लिए चार अधिकारियों की कमेटी का गठन किया है। जो जांच कर अपनी रिपोर्ट 12 मई तक देंगे।
यह है जांच कमेटी
जांच कमेटी में अतिरिक्त मुख्य अभियंता श्रीगंगानगर प्रवीण अकोदिया, अधिशाषी अभियंता (गुणवत्ता नियंत्रक) जयपुर सतीश कुमार अरोड़ा, सहायक अभियंता ग्रामीण खंड-प्रथम बीकानेर आदित्य श्रीमाली, कनिष्ठ लेखाकार बीकानेर राजू कड़वा को शामिल किया गया है।
संदेह के दायरे में 1.26 करोड़ रुपए
अभियंताओं पर आरोप है कि गोदारा कंस्ट्रक्शन कंपनी नोखा, देहरू कंस्ट्रक्शन कंपनी नोखा, शिवशंकर कंस्ट्रक्शन कंपनी बीकानेर नाम से डमी फर्में बनाकर जनवरी 2024 से अगस्त 2024 तक 1 करोड़ 26 लाख 42 हजार रुपए का भुगतान कर भ्रष्टाचार किया गया है। इन फर्मों पर धरातल पर कोई काम नहीं करने यानि कागजों में ही काम करना दिखाकर भुगतान किया गया है।
पूरे कार्यकाल के भुगतान की जांच हो
शिकायतकर्ता संतोष चन्द्र ने जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग को पिछले साल आठ महीने के दौरान के भुगतान के दस्तावेज भेजकर अभियंताओं के कार्यकाल के दौरान हुए समस्त भुगतान की जांच की मांग की है। शिकायतकर्ता ने आरटीआई के माध्यम से भुगतान की जानकारी विभाग से मांगी। परन्तु उसे आठ महीने की ही जानकारी उपलब्ध कराई गई।
इन भुगतानों की होगी जांच
– देहरू कंस्ट्रक्शन कंपनी को 2 व 5 अगस्त 2024 को 10 लाख रुपए का भुगतान, गोदारा कंस्ट्रक्शन कम्पनी को 5, 6 व 8 अगस्त को 21.70 लाख रुपए का भुगतान। इसी तरह देहरू को 8 अगस्त और 22 सितम्बर को 27.13 लाख रुपए का भुगतान किया गया। इसी तरह 22 व 24 सितम्बर को गोदारा को 2.81 लाख का भुगतान किया गया। अक्टूबर 2024 में देहरू को 47.77 लाख रुपए का भुगतान किया गया। अक्टूबर में 1.25 लाख रुपए का भुगतान गोदारा को फिर किया गया। इसके बाद दो बिलों का देहरू को 2.70 लाख का भुगतान किया गया। यह भुगतान डमी फर्मों को बिना काम के करने के आरोप है। जिनकी जांच के लिए कमेटी का गठन किया गया है।
हटाया और फिर वापस लगाया
आरोपी अधिशाषी अभियंता बीकानेर में पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के समय एक कांग्रेस की पसंद से पदस्थापित रहे। बाद में भाजपा सरकार आने पर एक भाजपा नेता के प्रयास से अधिकारी को हटा दिया गया। परन्तु कुछ ही दिन में भाजपा के ही एक अन्य नेता ने प्रयास कर अधिशाषी अभियंता को वापस बीकानेर बुला लिया। अब यदि कोई भ्रष्टाचार पकड़ में आता है तो अधिकारी को लाने वाले नेता भी संदेह के दायरे में आएंगे।