Rajasthan: पहले ही दिन 25 करोड़ का झटका, बंद पड़ी मंडियां, थम गया कारोबार
कृषक कल्याण शुल्क समेत कई मांगों को लेकर व्यापार संघ का प्रदेश व्यापी विरोध चल रहा है। ऐसे में सभी मंडियों में व्यापार बंद हैं। इसी क्रम में बुधवार को बीकानेर जिले की 8 मंडियों में व्यापार पूरी तरह से ठप रहा है।
बीकानेर। राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के प्रदेशव्यापी आह्वान पर बुधवार को बीकानेर जिले की आठ कृषि उपज मंडियां पूरी तरह बंद रहीं। पहले ही दिन करीब 25 करोड़ रुपए का कारोबार प्रभावित हुआ। सैकड़ों पल्लेदारों को काम नहीं मिला और मंडियों में सन्नाटा पसरा रहा। मांगें पुरानी हैं, लेकिन समाधान की दिशा में कोई ठोस पहल नहीं होने से व्यापारियों में रोष गहराता जा रहा है।
बीकानेर की दो प्रमुख मंडियों श्रीगंगानगर रोड और पूगल रोड के अलावा नोखा, श्रीडूंगरगढ़, लूणकरनसर, खाजूवाला, बज्जू, नापासर व छतरगढ़ जैसी ग्रामीण गौण मंडियों में भी पूरी तरह ताले लटके रहे। जिंसों की आवक नहीं हुई। बोली नहीं लगी। खरीदी-बिक्री का हर पहिया जाम रहा।
अकेले श्रीगंगानगर रोड मंडी में 10 करोड़ का असर
व्यापार संघ की रिपोर्ट के मुताबिक अकेली श्रीगंगानगर रोड कृषि मंडी में करीब 10 करोड़ रुपए का व्यापार प्रभावित हुआ। सभी मंडियों को मिलाकर यह आंकड़ा 25 करोड़ से अधिक पहुंचा। मंडियों में न खरीदार थे, न विक्रेता। पूरा परिसर शांत और सुनसान रहा।
व्यापारी-किसान दोनों पर बढ़ रहा बोझ
बीकानेर कच्ची आढ़त व्यापार संघ के उपाध्यक्ष नंदकिशोर राठी और संरक्षक मोतीलाल सेठिया का कहना है कि मंडी संचालन से जुड़े निर्णयों में व्यापारियों को लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है। कृषि जिंसों पर जीएसटी, मंडी टैक्स, कृषक कल्याण फीस सब मिलाकर व्यापारी और किसान दोनों पर बोझ बढ़ रहा है।
कैसा रहा खुदरा बाजार
फिलहाल हड़ताल का असर खुदरा बाजार में नहीं दिखा है, लेकिन यदि यह स्थिति लंबी चली, तो जरूरी जिंसों के दामों में तेजी आ सकती है। वहीं, ग्रामीण क्षेत्र में किसानों और लघु व्यापारियों के सामने उपज बेचने की समस्या खड़ी हो सकती है।
5 जुलाई तक बंद रहेगा कारोबार
खाद्य पदार्थ व्यापार संघ ने 5 जुलाई तक प्रदेश की सभी कृषि उपज मंडियों को बंद रखने का ऐलान किया है। यदि इस बीच सरकार से वार्ता नहीं हुई, तो आंदोलन को और व्यापक किया जा सकता है।
इन प्रमुख मांगों को लेकर बंद हैं मंडियां
कृषक कल्याण शुल्क खत्म किया जाए। सभी कृषि जिंसों पर मंडी शुल्क 0.50 पैसे प्रति सौ रुपए किया जाए। समान आड़त दर 2.25 प्रतिशत लागू हो। अनुज्ञा पत्रधारियों को प्राथमिकता से भूखंड आवंटन मिले। मंडी प्रशासन का कार्यभार संयुक्त निदेशक को सौंपा जाए।