दो दिन पूर्व ही एमपी हाइकोर्ट ने पंचायत विभाग में शिक्षाकर्मी के तौर पर भर्ती होने के बाद शिक्षा विभाग में मर्ज हुए शिक्षकों को भी ग्रेच्युटी का लाभ देने का आदेश दिया है। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के जस्टिस विवेक जैन की एकलपीठ ने यह अहम आदेश पारित करते हुए साफ कहा कि पंचायतों से राज्य सेवा में शामिल शिक्षक ग्रेच्युटी (gratuity) भुगतान अधिनियम के तहत हकदार हैं।
इससे पहले पूर्व चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की डिवीजन बेंच भी ग्रेच्युटी को कर्मचारी का अधिकार बता चुकी है। एक याचिका पर सुनवाई करते हुए डिवीजन बेंच ने तब यह भी स्पष्ट कर दिया था कि इसके लिए किसी आवेदन की जरूरत नहीं है। कार्यमुक्त होने के 30 दिन के अंदर कर्मचारी को ग्रेच्युटी का भुगतान करना नियोक्ता का दायित्व है।
कर्मचारियों, अधिकारियों को ग्रेच्युटी नहीं दी
हाइकोर्ट के ऐसे तमाम निर्देशों को ताक पर रखकर कर्मचारियों, अधिकारियों को ग्रेच्युटी नहीं दी जा रही है। लोक निर्माण विभाग यानि पीडब्लूडी के कर्मचारी वीरेंद्र कुमार श्रीवास्तव तो कई साल से परेशान हो रहे हैं। वे सहायक ग्रेड 2 के पद से रिटायर हुए थे लेकिन 3 साल बाद भी ग्रेच्युटी नहीं मिली है।
ब्याज सहित 181714 रुपए की राशि की कटौती कर दी गई
पीडब्लूडी संभाग क्रमांक 1 के कर्मचारी रहे वीरेंद्र कुमार श्रीवास्तव 30 जून 2022 को रिटायर हुए थे। वे तभी से ग्रेच्युटी के लिए चक्कर काट रहे हैं। उनकी ब्याज सहित 181714 रुपए की राशि की कटौती कर दी गई है। पीडब्लूडी में ऐसी कई शिकायतें सामने आई हैं जिनमें रिटायर हो रहे कर्मचारियों को ग्रेच्यूटी का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
1972 में ‘ग्रेच्युटी पेमेंट एक्ट’ बनाया गया
कर्मचारियों के हितों की रक्षा के लिए सन 1972 में ‘ग्रेच्युटी पेमेंट एक्ट’ बनाया गया था। यह वह रकम है जो किसी कर्मचारी को संस्था या नियोक्ता की ओर से दी जाती है। आमतौर पर कर्मचारी द्वारा नौकरी छोड़ने, नौकरी से हटाने या रिटायर होने पर ग्रेच्युटी दी जाती है। कर्मचारी की मौत या फिर बीमारी अथवा हादसे के कारण नौकरी छोड़ने की स्थिति में उन्हें या उनके नामित को ग्रेच्युटी दी जाती है।