वैदिक परंपरा का महत्व रक्षाबंधन केवल भाई-बहन का त्योहार नहीं बल्कि वैदिक परंपरा में इसका विशेष महत्व है। श्रावण मास की पूर्णिमा वेदपाठी ब्राह्मणों के लिए वर्ष का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है। इस दिन वे यजमानों को रक्षा सूत्र बांधकर उनके कल्याण की कामना करते हैं और आत्मशुद्धि का संकल्प लेते हैं।
बाजारों में दिनभर रही रौनक रक्षाबंधन पर्व को लेकर बाजार में खासा उत्साह देखने को मिला। बहनों ने दिनभर राखियां, सजावटी सामग्री और मिठाइयों की खरीदारी की। मिठाई की दुकानों, गिफ्ट सेंटर और फूलों की दुकानों पर भीड़ लगी रही। भाइयों ने भी अपनी बहनों के लिए गिफ्ट, कपड़े और अन्य उपहार खरीदें। शहर से लेकर गांव तक रक्षाबंधन का उत्साह देखने लायक था। कई परिवारों में रिश्तेदार और भाई-बहन एकत्र हुए, तो कहीं दूर-दराज से बहनें अपने भाइयों के पास पहुंचीं। मिठाइयों की खुशबू, राखियों की सजावट और हंसी-खुशी के माहौल ने पूरे जिले को त्योहारमय बना दिया।