संयुक्त निदेशक अजमेर को सौंपी रिपोर्ट झालावाड़ हादसे के बाद राज्य सरकार ने प्रदेश के विद्यालयों में छुट्टियां घोषित कर भवनों का भौतिक सत्यापन कराया था। भीलवाड़ा जिले में पहले से ही 30 स्कूलों को जमींदोज करने की सूची तैयार थी, लेकिन कार्रवाई लंबित थी। प्रारंभिक सर्वे में 76 स्कूल जर्जर पाए गए, लेकिन कलक्टर जसमीत सिंह संधू तथा संयुक्त निदेशक अजमेर को सौंपी गई अंतिम रिपोर्ट में यह संख्या दोगुने से भी ज्यादा हो गई।
सत्यापन में उजागर हुई खतरनाक स्थितियां जिले के 2808 स्कूलों के सर्वे के दौरान कई खतरनाक हालात सामने आए हैं। इनमें 309 विद्यालयों में अभी भी खुले और लटके हुए बिजली के तार, 59 विद्यालयों में खुले कुएं, जो बच्चों के लिए खतरा बने है। 116 विद्यालयों में खुले बोरवेल हैं। 427 विद्यालयों में केवल पानी की टंकी, लेकिन सुरक्षित पेयजल व्यवस्था नहीं है। इन खतरनाक परिस्थितियों को देखते हुए शिक्षा विभाग ने अब समग्र शिक्षा विभाग के सहायक अभियंता से पुनः जांच करवाने का निर्णय लिया ताकि स्थायी समाधान निकाला जा सकें।
ब्लॉकवार स्थिति-हर कोने में संकट सर्वे में यह सामने आया कि संकट किसी एक क्षेत्र तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे जिले में है। जर्जर 179 स्कूल के 1126 कक्षा-कक्ष को गिराने की स्थिति में है। ब्लाॅक सुवाणा में 37, शाहपुरा 30, हुरड़ा 24, कोटड़ी 20, बनेड़ा 15, बिजौलिया 14, जहाजपुर 13, आसींद 9, मांडलगढ़ 8, रायपुर व सहाड़ा में 3-3, करेड़ा में 2 तथा मांडल में 1 विद्यालय जर्जर स्थिति में हैं।