नीलामी के बाद भी प्लॉट अटके खनिज विभाग ने हाल ही कई खदानों की ई-नीलामी की। इनमें बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लेकर 40 प्रतिशत राशि जमा कर दी। मंशा पत्र भी जारी हुए, लेकिन अब अरावली पहाड़ियों का हवाला देकर उन आवंटनों को लंबित रखा है। दूसरी ओर अरावली क्षेत्र में ही प्लांटों की नीलामी की जा रही है। इससे यह साफ झलकता है कि विभाग दोहरे मापदंडों के साथ कार्य कर रहा है।
18 हजार में से मात्र 6 हजार खनन पट्टे सक्रिय राज्य में कुल 18 हज़ार खनन पट्टे जारी हैं, लेकिन इनमें से मात्र 11 हज़ार में ही आंशिक खनन हो रहा है। अधिकारियों की मानें तो सिर्फ 6 हजार पट्टे ही प्रभावी रूप से संचालित हैं। शेष पट्टों में नाम मात्र का खनन या पूर्ण रूप से ठप वाली स्थिति है। उधर खनन क्षेत्र की निगरानी के लिए 2003 में कोऑर्डिनेट सिस्टम लागू किया था। 22 सालों में इसमें कोई बड़ा सुधार नहीं हुआ। अब नया ड्रोन सर्वे सिस्टम लागू किया है। बिना ज़मीनी सुधार के अवैध खनन पर अंकुश लगाना मुश्किल है।
विभाग को मिले कोई जवाबदेही अधिकारी ऊपरमाल पत्थर खान व्यवसायी संघ सेवा संस्थान बिजौलिया ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। पत्र में उल्लेख किया कि विभाग की जिम्मेदारी सिर्फ नीलामी और जुर्माना वसूली तक सीमित है। खनिज व्यवसायियों की समस्याओं का कोई स्थायी समाधान नहीं दिख रहा। जब तक विभाग कोई जवाबदेही अधिकारी नहीं मिलेगा और पारदर्शी गाइडलाइंस लागू नहीं होंगी।
बजरी खनन पर सुप्रीम कोर्ट में ठोस पैरवी नहीं वर्तमान में नदियों से पांच किमी दूरी के बजरी खनन की रोक लगी है, वह बजरी खनन पर एक बड़ी बाधा बन गई है। रोक हटाने के लिए सरकार, सुप्रीम कोर्ट में ठोस पैरवी नहीं कर पा रही है। इससे राज्य को राजस्व में इजाफा नहीं हो रहा ना ही आमजन को सस्ती बजरी मिल पा रही। उधर, अवैध भंडारण पर जुर्माना लेकर खनिज को विभाग वैध मानता है, तो उसके बाद वैध परिवहन की अनुमति भी मिलनी चाहिए। वर्तमान में स्पष्ट प्रावधान नहीं होने से व्यवसायी परेशान हैं।