कीमतों में अचानक उछाल कोयले से बनी ईंटें: पहले 1000 ईंटें 5000 रुपए में मिलती थीं, अब 6500 रुपए तक। तुड़ी व लकड़ी से बनी ईंटें: पहले 5000 रुपए, अब 6000 रुपए प्रति हजार।
कीमतों में इस वृद्धि ने ठेकेदारों, मिस्त्रियों और घर बनाने वाले आम लोगों का बजट बिगाड़ दिया है। अब केवल जनवरी से जून तक ही संचालन पहले ईंट-भट्टे साल में नौ माह चलते थे, लेकिन अब 1 जनवरी से 30 जून तक संचालन की अनुमति होगी। 1 जुलाई से 31 दिसंबर तक फायरिंग पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा। उल्लंघन पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जुर्माना व कानूनी कार्रवाई करेगा। इस बार मई में बारिश जल्दी आने से भट्टों का काम पंद्रह दिन पहले बंद हो गया। स्टॉक कम होने के कारण सप्लाई और घट गई।
प्रदेश भर में भीलवाड़ा की ईंटों की मांग भीलवाड़ा के 250 चिमनी ईंट-भट्टों से बनी ईंटें न केवल जिले में बल्कि चित्तौड़गढ़, प्रतापगढ़, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, राजसमंद, सलूंबर और उदयपुर तक सप्लाई होती हैं। यहां करीब 40-50 हजार मजदूर काम करते हैं, जो काम बंद होने पर गांव लौट गए हैं और 31 दिसंबर से पहले लौटना शुरू करेंगे। ईंट भट्टा संचालक के अनुसार, कीमतें 6.50 रुपए प्रति ईंट से ज्यादा बढ़ाने पर चूरू व हनुमानगढ़ से सस्ती ईंटें आ जाती हैं। हालांकि उनकी गुणवत्ता कम है, लेकिन बड़े निर्माण कार्यों में उनका उपयोग हो जाता है।
मई में ही काम हो गया था बंद इस बार मई माह में बारिश आने से ईंट भट्टों पर काम 15 दिन पहले ही बंद हो गया था। ऐसे में ईंटों का ज्यादा स्टॉक नहीं किया जा सका। जिले में ईंट भट्टों पर कम से कम 40 से 50 हजार मजदूर काम करते हैं। सभी अपने गांव चले गए हैं, जो 31 दिसंबर से पहले ही आने शुरू होंगे।
– लादूलाल पहाडि़या, उपाध्यक्ष जिला चिमनी ईंट भट्टा एसोसिएशन