अभियोजन पक्ष के अनुसार मंगरोप के कल्याणपुरा निवासी पप्पूलाल ने कोटड़ी थाने में रिपोर्ट दी। रिपोर्ट में परिवादी ने बताया कि उसकी बहन निर्मला उर्फ निरमा की शादी कंकरोलिया के मनीष तेली से हुई थी। विवाह के बाद से निरमा की सास प्यारी देवी पुत्र मनीष को दहेज की मांग के लिए उकसाती थी। 20 अक्टूबर 2017 से 18 से 20 दिन पहले निरमा के ससुर राजू तेली का फोन परिवादी के पास आया। उसने कहा कि घर में काम है आप निरमा को कंकरोलिया छोड़ जाओ। इस पर परिवादी बहन निरमा को ससुराल छोड गया। रिपोर्ट के अनुसार 16 अक्टूबर 2017 को परिवादी के मोबाइल पर रात 8:30 बजे फोन आया कि उसकी बहन कहीं भाग गई है, जो नहीं मिल रही है। 20 अक्टूबर 2017 को नजदीक के कुएं में निरमा का शव मिला। मौके पर पहुंचे तो देखा की निरमा के शरीर पर चोट के निशान थे और उसकी पीठ पर करीब 20 किलो वजनी पत्थर बंधा था। परिवादी ने सास प्यारी देवी, ससुर राजू लाल, पति मनीष व जगदीश के विरुद्ध कार्रवाई के लिए रिपोर्ट पेश की। पुलिस ने अनुसंधान के दौरान ससुर राजू व जगदीश आसरवा के विरुद् आरोप नहीं पाए जाने का तर्क दिया। सास प्यारी व पति मनीष के विरुद्ध धारा 498 ए व 304 बी आइपीसी का चालान न्यायालय में पेश किया। मनीष का चालान पाॅक्सो न्यायालय व सास प्यारी देवी का चालान महिला उत्पीड़न प्रकरण, भीलवाडा न्यायालय में पेश किया। मनीष की उम्र को लेकर पॉक्सो न्यायालय से मामले को जिला एवं सत्र न्यायालय को अंतरित कर दिया गया। सत्र न्यायालय ने अभियुक्त मनीष को बालिग योग्य मानते हुए सुनवाई शुरू की। विशिष्ट लोक अभियोजक रघुनंदन सिंह कानावत ने अभियुक्त मनीष के खिलाफ 19 गवाह और 38 दस्तावेज पेश कर आरोप सिद्ध किया। सत्र न्यायालय ने 24 अप्रेल 2025 को ट्रायल पूरी होने पर आरोपी मनीष पर धारा 498 ए एवं 304 बी आईपीसी अपराध साबित नहीं माना। उसे वैकल्पिक अपराध धारा 302 आइपीसी में दोष सिद्ध मानते हुए न्यायिक अभिरक्षा में भिजवाया और फैसला सुरक्षित रखा। न्यायाधीश जैन ने गुरुवार को फैसले में अभियुक्त पति मनीष को आजीवन कारावास व 25 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई। उधर, आरोपी सास प्यारी देवी का मामला महिला उत्पीडन में विचाराधीन है।