सीया कमेटी का पौधरोपण शुल्क बना आंदोलन का बड़ा कारण राजस्थान ग्रेनाइट माइंस एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष भवानी सिंह धांधिया ने बताया कि सीया कमेटी की ओर से 23 जुलाई को जारी आदेश के अनुसार अब प्रत्येक स्वीकृत खनन पट्टेधारी को पर्यावरण सहमति में पौधरोपण के लिए प्रति हेक्टेयर 6,42 लाख रुपए जमा करवाने होंगे। यह नियम देश के किसी अन्य राज्य में लागू नहीं है और यह एमओईएफ के केंद्रीय नियमों के भी विपरीत है। एसोसिएशन ने इस आदेश को तत्काल निरस्त की मांग की है।
5 हजार खनन पट्टों पर खतरा, 11 सितंबर से बंद होने की आशंका पर्यावरण सहमति (ईसी) को पुनः डीया से सीया में भेजे जाने की प्रक्रिया में राज्य पर्यावरण समिति (सीया) की ओर से फार्म-2 आवेदनों को अब तक एजेंडे में नहीं लिया है। इससे प्रदेश के करीब 5 हजार खनन पट्टों के संचालन पर 11 सितंबर 2025 के बाद रोक लग सकती है, जो एक गंभीर स्थिति है।
ड्रोन सर्वे के अव्यवहारिक नियमों में संशोधन की मांग खान विभाग की ओर से लागू किए गए ड्रोन सर्वे के मानदंडों को भी खनन पट्टेधारियों ने अव्यवहारिक बताया है। एसोसिएशन का कहना है कि ड्रोन सर्वे प्रक्रिया में पारदर्शिता और व्यावहारिकता लाने की जरूरत है, ताकि यह नियम पालन योग्य हो सके।
बंद खनन पट्टों को बिना सुनवाई निरस्त करने पर विरोध भीलवाड़ा क्रशर एवं चुनाई पत्थर संघ के अध्यक्ष अनिलकुमार सोनी ने कहा कि सरकार दो वर्ष या अधिक समय से बंद खनन पट्टों को बिना नोटिस और सुनवाई के सीधे निरस्त कर रही है, जो सरासर गलत है। ऐसे कई पट्टेधारी हैं जो वार्षिक डेडरेंट नियमित रूप से जमा कर रहे हैं और खनन कार्य विभिन्न कारणों से ठप पड़ा है। उन्हें बीमारू उद्योग मानते हुए राहत दी जानी चाहिए।
उच्चतम न्यायालय में मामला, सहयोग की अपील एसोसिएशन ने मांग की है कि सरकार उच्चतम न्यायालय में लंबित मामले में अपना पक्ष रखे और राज्य के हित में एआई फाइल कर निर्णय सुनिश्चित करे। साथ ही सरकार के एएजी को पट्टेधारियों की ओर से प्रस्तुत एआई फाइल में सहयोग के लिए पाबंद किया जाए।