जवाब : दरअसल मैं ठहरा मारवाड़ की ग्रामीण पृष्ठभूमि का आदमी। दिल्ली जैसे शहर में मुझे ये नौकरी रास नहीं आई। 2010 में अपने गांव पुनियों का तला में पत्नी पुष्पा देवी सरपंच चुनी गई। बस उसके बाद लोगों का प्यार मिलता गया। और वहीं से ये सियासी सफर शुरू हुआ।
जवाब : मैं 1995 में दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल के रूप में चयनित हुआ। 2005 तक विभिन्न थानों में सेवाएं दीं, जिसमें संसद मार्ग थाना भी शामिल था। लेकिन मन नहीं लगा और नौकरी की जगह खुद का काम करने की सोची। खुद का हैंडलूम बिजनेस शुरू करने का निर्णय लिया। इसमें परिवार का भी साथ मिला। और उन्हीं के सहयोग से काम आगे बढ़ा।
जवाब : नहीं, ऐसा नहीं था। मैं चुनाव भले नहीं जीत पाया लेकिन लोग मेरे साथ थे। 2018 में 12 हजार और 2023 मात्र 910 वोट से हारा।
जवाब : मेरी प्राथमिकता शिक्षा है। जीवन में बदलाव के लिए बेसिक एजुकेशन बहुत जरूरी है। मैं चाहता हूं गांवों में ऐसा स्कूल हो, जिसमें डिजिटल क्लास, स्मार्ट लैब, खेल मैदान, लाइब्रेरी सब हो। ताकि गांव का बच्चा किसी मेट्रो सिटी के बच्चे से पीछे न रहे।
जवाब : देखिए इसके लिए जागरूकता जरूरी है। मैंने यूरोप के देशों की यात्रा के दौरान देखा कि वहां के लोगों और सरकार का ध्यान बेसिक एजुकेशन पर है। और उसी से उनकी समझ शिक्षा से ही मजबूत हुई है।
जवाब : अरे नहीं-नहीं। मुझे फिल्मों का शौक नहीं है। हंसते हुए बोले- कॉलेज के दिनों में सिनेमा हॉल में दोस्तों के साथ ‘तिरंगा’ फिल्म देखी थी। वहीं पहली और आखिरी फिल्म देखी है।
जवाब : कोशिश करता हूं कुछ समय दूं। लेकिन उतना नहीं दे पाता। हम तो ग्रामीण परिवेश के लोग हैं। बच्चे और परिवार समझते हैं। इसको लेकर पत्नी ने कभी शिकायत नहीं की। परिवार का साथ हमेशा रहता है।
जवाब: कॉलेज के समय में बैडमिंटन खेला करता था। आज भी कभी मौका मिले तो रैकेट उठा लेता हूं। (हंसते हएु) इसी बहाने अपनी सेहत का भी पता चल जाता है।