बृजघाट से जल लेकर लौटते समय हुआ हादसा
रविवार की रात जोया कस्बे की जाटव कॉलोनी निवासी बिट्टू समेत 24 कांवड़ियों का जत्था बृजघाट से जल लेकर लौट रहा था। इसी दौरान उनकी बाइक को किसी अन्य वाहन ने टक्कर मार दी। दुर्घटना इतनी भीषण थी कि बिट्टू की मौके पर ही मौत हो गई। हादसे के वक्त बाइक पर तीन लोग सवार थे, जिनमें से एक की हालत अब भी गंभीर बनी हुई है।
रामपुर निवासी राजपाल की रास्ते में मौत
रामपुर के थाना टांडा क्षेत्र के गांव तारका माजरा छितरिया जागीर निवासी राजपाल भी इस हादसे में गंभीर रूप से घायल हो गए थे। प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें रेफर कर दिया गया, लेकिन रास्ते में ही उनकी भी मौत हो गई। इसी गांव के सौरभ और बिट्टू भी घायल हुए हैं।
शहबाजपुर डोर के पास दो जगह हादसे
ये दोनों हादसे अमरोहा के गांव शहबाजपुर डोर के नजदीक हुए। जहां कई कांवड़िए अलग-अलग वाहनों से लौट रहे थे, वहीं एक के बाद एक टक्करें हुईं।
रामपुर, मुरादाबाद, संभल, बरेली से घायल कांवड़िए
घायलों में शामिल लोगों की सूची लंबी है: रामपुर के शाहबाद निवासी मनवीर और विकास घायल हुए। मुरादाबाद के मझौला निवासी राजन सैनी, अनी सैनी, अमन, दीपांशु वर्मा, अभिषेक ठाकुर, अजय, दीपक, राजीव, निधि, प्राची, मोहित शामिल हैं। कटघर निवासी चरण सिंह, अमन और मैनाठेर निवासी विनोद, सुभाष भी घायल हुए। संभल के बनियाठेर निवासी अभिषेक, दीपक पाल, नमपुरा निवासी दिनेश को भी चोटें आईं। पाकबड़ा निवासी करण, एडवोकेट तरुण, हसनपुर के चकरी वाला कुआं निवासी अनमोल, राहुल यादव भी हादसे की चपेट में आए। बरेली के राहुल, धर्मेंद्र, अमन कुमार भी घायल हैं।
जोया क्षेत्र के सीएचसी में चल रहा उपचार
मुरादाबाद के बुधबाजार निवासी राजीव, निधि, प्राची और डिलारी के मोहित को जोया सीएचसी में भर्ती कराया गया है। सभी घायलों को आसपास के अस्पतालों में प्राथमिक उपचार के लिए भर्ती कराया गया है, जिनमें कुछ की हालत नाजुक बनी हुई है।
प्रशासन और पुलिस सतर्क, जांच जारी
पुलिस ने घटनास्थल पर पहुंचकर स्थिति को संभाला और ट्रैफिक को नियंत्रित किया। हादसे के कारणों की जांच की जा रही है। प्रशासन ने भी मृतकों के परिजनों के लिए सहायता और घायलों के इलाज में तेजी के निर्देश दिए हैं।
श्रद्धा में लिपटी पीड़ा: सावन में हादसों का सिलसिला
हर साल कांवड़ यात्रा में बढ़ती भीड़ और तेज रफ्तार वाहन हादसों की वजह बनते जा रहे हैं। श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए सरकार और प्रशासन को और मजबूत कदम उठाने की ज़रूरत है, ताकि आस्था का यह पर्व किसी के लिए मातम न बने।