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अलवर

बंदरों के उत्पात से लोगों का घरों से निकलना मुश्किल, गलियों में श्वानों का भय

बंदरों व श्वानों से बचाने का पालिका के पास नहीं कोई उपाय

-बोर्ड मीटिंग में भी पार्षदों ने उठाई थी समस्या, नहीं हो पा रहा समाधान

अलवरApr 28, 2025 / 04:50 pm

Ramkaran Katariya

खेरली. कस्बे में बंदरों का उत्पात व श्वनों के हमले से लोगों का घरों से निकलना मुश्किल हो रहा है। आरोप है कि पालिका प्रशासन के पास भी आमजन को इनसे बचाने का कोई उपाय नहीं है। बोर्ड मीटिंग में भी पार्षदों ने यह समस्या उठाई थी, लेकिन समाधान नहीं हो पा रहा है।हालात इस तरह से बिगड़े हुए हैं कि कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। लोगों को देखते ही बंदर उनकी तरफ़ दौड़ पड़ते है। बंदरों के डर से बच्चे व महिलाएं घरों से निकलने से कतराते हैं। घर की छत पर जाना मुश्किल हो गया है। ब्रज बिहार काॅलोनी मंडी के पीछे होने के कारण सबसे ज़्यादा प्रभावित है। अनाज मंडी निकट होने के कारण बड़ी संख्या में बंदरों ने यहां डेरा डाल रखा है।
पार्षद पति ब्रज विहार कॉलोनी निवासी ओमप्रकाश लालपुरिया को बंदरों ने काट कर घायल कर दिया था। इससे पहले एक पूर्व पार्षद वार्ड नंबर 18 निवासी कमल नरूका पर बंदरों ने हमला कर दिया था। इनसे बचने के दौरान वह छत से नीचे गिर जाने से में फ्रेक्चर हो गया था। वार्ड 22 के पार्षद महावीर गौतम को भी बंदरों ने काट कर घायल कर दिया था। कजोड़ी मोहल्ला की एक महिला भी बंदरों के डर से छत से कूद गई थी, जिससे वह गंभीर घायल हो गई थी। ऐसी कई घटनाएं हो चुकी हैं, लेकिन नगरपालिका केवल कमेटी बनाने तक सीमित रही। जिसकी भी कोई बैठक नहीं हुई।टेंडर निकाला और कुछ दिनों बाद ही निरस्त
इधर पालिका में बंदर पकड़ने का टेंडर निकाला गया और कुछ दिनों बाद ही निरस्त भी कर दिया। यही मामला पालिका की बोर्ड मीटिंग में भी उठाया गया था, लेकिन समाधान ढाक के तीन पात रहा। उत्पाती बंदर राहगीरों से सामान छीन लेने जैसी घटनाएं बाजार में आम बात है। यही स्थिति निराश्रित गाय, बछड़ों एवं नंदियों की है, जो जगह -जगह रोड जाम किए रहते हैं। बाजार में लगने वाली सब्जी की ठेलियों के आसपास ये मंडराते हैं। फेंकी गई सडी-गली सब्जियों को खाते हुए लड़ते है। जिससे कई बार राहगीर भी चपेट में आ चुके। गली-गली में श्वानों की अधिकता से लोगों का दिन में भी निकलना भारी हो रहा है। ये छोटे बच्चे एवं मोटरसाइकल आदि वाहनों के पीछे दौड़ लगाते हैं। इस ओर पालिका का कोई ध्यान नहीं है।
घरों से उठा ले जाते हैं सामान

बंदर घरों में घुसकर सामान उठा ले जाते हैं। भगाने पर हमला कर देते है। लोगों ने बंदरों से दुखी होकर घर को चारों ओर से जालियां लगाकर पैक कराया हुआ है। स्थानीय लोगों का कहना है कि कई बार पालिका प्रशासन को इसकी शिकायत की, लेकिन आज तक बंदरों को पकड़ने की कार्रवाई नहीं हुई। पालिका की ढीलपोल के कारण बंदरों के हमले की घटनाएं बढ़ रही है।फिर से टेंडर करेंगे
अभी इस संबंध में टेंडर किया था, जिसमें एक ही ठेकेदार ने आवेदन किया था। जिसकी रेट बहुत अधिक थी। हमने उसे रेट कम करने को कहा भी है, लेकिन वह सहमत नहीं है। या तो सहमति बन जाती है अन्यथा फिर से टेंडर करेंगे।नरसी मीणा, अधिशासी अधिकारी, खेरली।

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