बता दें, घटना के समय होटल में करीब 18 लोग ठहरे हुए थे, जो अजमेर दरगाह में जियारत के लिए आए थे। आग सुबह 8 बजे लगी और संकरी गलियों के कारण दमकल की गाड़ियों को मौके पर पहुंचने में बेहद कठिनाई हुई। धुएं और आग से बचने के लिए दो जायरीन को तीसरी मंज़िल से कूदकर अपनी जान बचानी पड़ी। बता दें, आग इतनी भीषण थी कि बचाव के दौरान कुछ दमकल कर्मी भी धुएं की वजह से बेहोश हो गए। घायलों को तत्काल JLN मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था।
इस दौरान एक मां ने अपने बच्चे को खिड़की से नीचे फेंककर बचाने की कोशिश की। हादसे में कई लोग गंभीर रूप से झुलस गए थे, जिनमें से अब तक पांच ने दम तोड़ दिया। बता दें आग इतनी भीषण थी कि बचाव के दौरान कुछ दमकल कर्मी भी धुएं की वजह से बेहोश हो गए। घायलों को तत्काल JLN मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था।
मानवता की मिसाल बनी संस्था
इस दुखद हादसे के बीच अजमेर दरगाह के खादिमों की संस्था ‘अंजुमन सैयद ज़ादगान’ ने एक बार फिर इंसानियत की मिसाल पेश की है। संस्था ने हर मृतक के परिजन को 1 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी। वहीं, घायलों को 50,000 रुपये की राहत राशि दी। इसके अलावा मुफ़्त एंबुलेंस की व्यवस्था कर शवों को परिजनों तक पहुंचवाया। अंजुमन के सचिव सैयद सरवर चिश्ती ने कहा कि धर्म से ऊपर इंसानियत है। चाहे मृतक हिंदू हो या मुसलमान, दुख की इस घड़ी में अंजुमन सबकी मदद करती है।
मानवाधिकार आयोग ने लिया संज्ञान
इस घटना पर राज्य मानवाधिकार आयोग ने भी संज्ञान लेते हुए कड़ा रुख अपनाया है। आयोग अध्यक्ष जस्टिस जी.आर. मूलचंदानी ने न केवल इस घटना को बेहद दुखद बताया, बल्कि अजमेर शहर में अवैध होटलों और गेस्ट हाउस के संचालन पर भी गंभीर चिंता जताई है।