डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कोर्पोरेशन ऑफ इंडिया (डीएफससीसीआईएल) अहमदाबाद के मुख्य महाप्रबंधक मनीष अवस्थी ने शुक्रवार को संवाददाताओं को बताया कि वैतरणा से जेएनपीटी कॉरिडोर में आ रही बाधाएं दूर हो गई हैं। इस पर तेजी से कार्य चल रहा है। यह दिसंबर 2025 तक कार्यरत हो जाएगा। ऐसा होने पर पश्चिमी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर में अभी नियमित दौड़ रही 300 ट्रेनों की जगह दोगुनी 600 ट्रेनें दौड़ेंगी। क्योंकि दिल्ली और मुंबई दोनों मुख्य केन्द्र जुड़ जाएंगे।
ऊंझा से जीरा, इसबगोल का लदान जल्द संभव
अवस्थी ने बताया कि पश्चिमी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसी) में अहमदाबाद से दिल्ली तक ई-कॉमर्स कंपनियों के पार्सलों के विशेष ट्रेन चल रही है। 25 साल पूरे होने पर निकाले गए ट्रेन के अच्छे 10 सवारी डिब्बों को न्यू मॉडिफाइड गुड्स (एनएमजी) डिब्बो में बदला है। 4-5 डिब्बों का एक रैक अहमदाबाद से दिल्ली और अन्य एक रैक दिल्ली से अहमदाबाद के बीच 11 घंटे में इस कॉरिडोर पर चल रहा है। न्यू साणंद में कनेक्टिविटी सुनिश्चित कर सेंटर बनाया है। जल्द ही ऊंझा से भी जीरा, इसबगोल व अन्य वस्तुओं का लदान शुरू होने के आसार हैं।
ट्रक ऑन ट्रैक सेवा से 10 घंटे में दिल्ली पहुंच रहा दूध
उन्होंने बताया कि पश्चिमी डीएफसी कार्यरत से ट्रक ऑन ट्रेन सेवा शुरू की है। पालनपुर से सीधे ट्रेन में दूध टैंकरों को लादा जाता है, ये 10 घंटे में दिल्ली पहुंच जाते हैं। इससे समय, ईंधन की बचत हो रही है। पश्चिमी डीएफसी मुंद्रा, कंडला, टूना, नवलखी, पीपावाव बंदरगाह से जुड़ा है, जिससे कंटेनर परिवहन समय में 50 फीसदी की कमी आई है। 24 घंटे की जगह अब 12-15 घंटे ही लग रहे हैं। डबल स्टेक कंटेनर लेकर 29 ट्रेन भी दौड़ रही हैं। समर्पित ट्रैक पर ट्रेन की गति औसतन 50-60 किमी प्रति घंटा है। इससे भारतीय रेलवे का समय भी बढ़ा है। सीमेंट कंपनी के माल लदान में 30-60 फीसदी की वृद्धि देखी गई है। अहमदाबाद के साबरमती स्थित डीएफसी के पश्चिमी ऑपरेशन कंट्रोल सेंटर कॉम्पलैक्स में 70 मीटर लंबे वीडियो वॉल पर हर ट्रेन पर नजर रखी जा रही है। यहीं से ट्रैक का संचालन होता है। जल्द एआई का इस्तेमाल शुरू करेंगे। पायलट प्रोजेक्ट चालू कर दिया है। हर ट्रेन में कवच सिस्टम लगेगा।