ये दल 2019 से अब तक पिछले छह वर्षों में एक भी चुनाव लड़ने के आवश्यक मानदंडों को पूरा करने में विफल रहे। इसके अलावा, इन पार्टियों के कार्यालय भी उनके पंजीकृत दस्तावेजों में उल्लिखित पते पर मौजूद नहीं हैं। इस वजह से चुनाव आयोग ने अहम फैसला लिया है।
2854 आरयूपीपी में से 2520 बचे
ईसीआई की तरफ से कहा गया है कि सभी तथ्यों और मुख्य कार्यकारी अधिकारियों की सिफारिशों पर विचार करने के बाद, आयोग ने 334 आरयूपीपी को सूची से हटा दिया है। अब, कुल 2854 आरयूपीपी में से 2520 बचे हैं। इसमें आगे कहा गया है कि ये आरयूपीपी अब जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29बी और धारा 29सी तथा चुनाव चिह्न (आरक्षण एवं आवंटन) आदेश, 1968 के प्रावधानों के तहत कोई भी लाभ प्राप्त करने के पात्र नहीं होंगे।
30 दिनों के भीतर दर्ज करानी होगी आपत्ति
चुनाव आयोग की तरफ से यह भी कहा गया है कि इस आदेश से अगर किसी भी दल को को परेशानी है तो वह 30 दिनों के भीतर आयोग में अपील कर सकते हैं। बता दें कि चुनाव आयोग ऐसे दलों को हटा रहा है जो अब जनता के बीच से गायब हो गए हैं। वह केवल कागजों पर ही मौजूद हैं। जून 2025 में चुनाव आयोग ने ‘सफाई अभियान’ की शुरुआत की थी।
इसके साथ, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को उपरोक्त शर्तों के अनुपालन के संबंध में 335 आरयूपीपी की सत्यापन जांच करने का निर्देश दिया था।
पहले भेजा गया कारण बताओ नोटिस
संबंधित मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (सीईओ) द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में, कुल 335 में से 334 आरयूपीपी उपरोक्त शर्तों का पालन नहीं करते पाए गए। सीईओ ने इन आरयूपीपी से पूछताछ की, कारण बताओ नोटिस जारी किए और प्रत्येक पक्ष को व्यक्तिगत सुनवाई के माध्यम से जवाब देने और अपना पक्ष रखने का अवसर प्रदान किया। वर्तमान में, चुनाव आयोग के साथ छह राष्ट्रीय दल, 67 राज्य स्तरीय दल और 2,854 आरयूपीपी पंजीकृत हैं। चुनाव आयोग के मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार, यदि कोई दल लगातार 6 वर्षों तक चुनाव नहीं लड़ता है, तो उसे पंजीकृत दलों की सूची से हटा दिया जाता है।