गुजरात सरकार, गुजरात कैंसर सोसाइटी और जीसीआरआई ट्रस्ट संचालित इस अस्पताल में पिछले पांच वर्षों में 77,650 मरीजों ने कैंसर का उपचार लिया। इनमें से 25,408 (33 प्रतिशत) मरीज मुंह और गले के कैंसर से जूझ रहे थे। यह आंकड़ा व्यसन के प्रति सामाजिक जागरूकता की आवश्यकता को भी दर्शाता है। इस अस्पताल में रोबोट से भी मरीजों की सर्जरी की जाती है, इस तरह की सुविधा देश के अन्य किसी सरकारी अस्पताल में नहीं है।
प्रति वर्ष 48 हजार से अधिक कीमोथेरेपी सत्र
जीसीआरआई अस्पताल के निदेशक डॉ. शशांक पंड्या के अनुसार अस्पताल में प्रतिवर्ष औसतन 5,453 बड़ी और 6,494 छोटी सर्जरी की जाती हैं। वर्ष में औसतन 48,568 कीमोथेरेपी दी जाती हैं। इसके अलावा करीब छह हजार मरीजों को रेडियोथेरेपी से उपचार दिया जाता है। बोन मेरो ट्रांसप्लांट (बीएमटी) के लिए भी दायरा बढ़ा दिया है। अब यहां बीएमटी के बेड चार से बढ़ाकर 11 कर दिए हैं।
कैंसर स्क्रीनिंग ओपीडी में 49000 की जांच
डॉ. पंड्या के अनुसार अस्पताल में मरीजों के साथ आने वाले परिजनों के लिए भी कैंसर स्क्रीनिंग ओपीडी सुविधा है। इस नि:शुल्क सुविधा से अब तक 49 हजार लोगों की जांच की जा चुकी है, इनमें से 104 को कैंसर की पुष्टि हुई है। इसका फायदा ये हुआ कि ॉइनका समय से उपचार शुरू हो गया।कैंसर का बड़ा कारण है तंबाकू डॉ. पंड्या के अनुसार जिस तरह के कैंसर के मरीज सामने आ रहे हैं उसका सबसे बड़ा कारण किसी भी रूप में तंबाकू का सेवन है। उनका कहना है कि तंबाकू का सेवन छोड़ देने से कैंसर के मामलों में कमी आ सकती है।