शास्त्रों के अनुसार वैशाख मास भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है और इस मास की अमावस्या तिथि का धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व होता है। अजमेर की ज्योतिषाचार्य नीतिका शर्मा ने बताया कि इस वर्ष वैशाख अमावस्या 27 अप्रैल को पड़ रही है।
शनि देव और भगवान विष्णु की पूजा का अक्षय फल (Vaishakh Amavasya 2025 Puja Vidhi)
इसलिए अमावस्या के दिन गंगा नदी में स्नान करना, पितृ तर्पण, पितृ पूजा, और दान पुण्य करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है। वैशाख अमावस्या को पवित्र गंगा नदी में स्नान करने के साथ-साथ शनि देव और भगवान विष्णु की पूजा करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।इसके अलावा इस दिन किए गए धार्मिक अनुष्ठान जीवन में समृद्धि, शांति और सकारात्मक ऊर्जा लाने का एक महत्वपूर्ण माध्यम माने जाते हैं। इस दिन का माहौल विशेष रूप से संतुलन और आध्यात्मिक उन्नति के लिए उपयुक्त होता है, और यह समृद्धि और आत्मविकास की दिशा में एक कदम और आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करता है।
पितृ तर्पण से सुख समृद्धि (Pitra remedy)
साथ ही, वैशाख अमावस्या पर पितृ तर्पण करने से पितरों के आशीर्वाद की प्राप्ति होती है, और यह दिन परिवार के लिए एकता और सौहार्द की भावना को भी बढ़ावा देता है। इस दिन विशेष रूप से दान पुण्य का महत्व है, जिससे पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।कब है वैशाख अमावस्या (Vaishakh Amavasya 2025)
ज्योतिषाचार्य नीतिका शर्मा के अनुसार वैशाख अमावस्या 27 अप्रैल 2025 की सुबह 04:49 से 28 अप्रैल 2025 की सुबह 1 बजे तक रहेगी। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान-दान का विशेष महत्व माना जाता है।पितरों के लिए धूप-ध्यान
नीतिका शर्मा ने बताया कि पितरों के लिए धूप-ध्यान करने का सबसे अच्छा समय दोपहर का होता है। सुबह-शाम देवी-देवताओं की पूजा के लिए सबसे अच्छा समय रहता है और दोपहर में करीब 12 बजे पितरों के लिए धूप-ध्यान करने का समय बताया गया है। इस समय को कुतप काल कहते हैं। अमावस्या की दोपहर में गोबर के कंडे जलाएं और जब कंडों से धुआं निकलना बंद हो जाए, तब अंगारों पर गुड़ और घी से धूप अर्पित करें।वैशाख अमावस्या दान-पुण्य (Vaishakh Amavasya 2025 Dan Puny)
ज्योतिषाचार्य नीतिका शर्मा के अनुसार इस अमावस्या पर किसी पवित्र नदी में स्नान करें और स्नान के बाद नदी किनारे दान-पुण्य जरूर करें। इस अमावस्या पर किसी सार्वजनिक स्थान पर प्याऊ लगवाएं या किसी प्याऊ में मटके का और जल का दान भी कर सकते हैं। जरूरतमंद लोगों को भोजन कराएं।मौसमी फल जैसे आम, तरबूज, खरबूजा का दान करें। जूते-चप्पल, सूती वस्त्र, छाता भी दान कर सकते हैं। किसी गोशाला में गायों की देखभाल के लिए धन का दान करें और गायों को हरी घास खिलाएं।

वैशाख अमावस्या पूजा विधि (Vaishakh Amavasya 2025 Puja Vidhi)
1.अमावस्या पर सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करें। इसके लिए तांबे के लोटे का इस्तेमाल करें। अर्घ्य चढ़ाते समय ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जप करना चाहिए। सूर्य को पीले फूल चढ़ाएं।चावल से तृप्त होते हैं पितर देव
ज्योतिषाचार्य नीतिका शर्मा ने बताया कि चावल से बने सत्तू का दान इस दिन पितरों के लिए किए जाने वाले श्राद्ध में चावल से बने पिंड का दान किया जाता है और चावल के ही आटे से बने सत्तू का दान किया जाता है। इससे पितृ खुश होते हैं।चावल को हविष्य अन्न कहा गया है यानी देवताओं का भोजन। चावल का उपयोग हर यज्ञ में किया जाता है। चावल पितरों को भी प्रिय है। चावल के बिना श्राद्ध और तर्पण नहीं किया जा सकता। इसलिए इस दिन चावल का विशेष इस्तेमाल करने से पितर संतुष्ट होते हैं।
वैशाख अमावस्या की महिमा (Vaishakh Amavasya 2025 Importance)
ज्योतिषाचार्य नीतिका शर्मा ने बताया कि मान्यता है कि इस मास की सभी तिथियां पुण्यदायिनी मानी गई हैं। एक-एक तिथि में किया हुआ पुण्य कोटि-कोटि गुना अधिक होता है, उनमें भी जो वैशाख की अमावस्या तिथि है,वह मनुष्यों को मोक्ष देने वाली है।स्कंद पुराण के अनुसार परम पवित्र वैशाख मास में जब सूर्य मेष राशि में स्थित हों,तब पापनाशिनी अमावस्या कोटि गया के समान फल देने वाली मानी गई है, जो प्राणी इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करके पितरों के निमित्त श्रद्धा पूर्वक जल से भरा हुआ कलश, तिल, पिंड और वस्त्र दान करता है, उसे अक्षय फल की प्राप्ति होती है। उसके पितरों को मोक्ष मिलता है।
यदि कोई व्यक्ति पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए इस दिन व्रत रखता है, ब्राह्मणों को भोजन कराता है और श्रद्धा से पिंडदान करता है, तो न केवल उसके पितर तृप्त होते हैं, बल्कि उसे स्वयं भी मोक्ष की प्राप्ति होती है।
यह तिथि देवताओं की भी अत्यंत प्रिय मानी गई है और इसी कारण इस दिन किए गए कर्म, साधना और दान-दक्षिणा विशेष फलदायी होते हैं। इस दिन प्याऊ लगाना, छायादार वृक्ष लगाना, पशु-पक्षियों के खान-पान की व्यवस्था करना,राहगीरों को जल पिलाना जैसे सत्कर्म मनुष्य के जीवन को समृद्धि के पथ पर ले जाते हैं।