कब और किनके बीच हुआ समझौता
1971 में भारत के हाथों करारी शिकस्त के बाद 2 जुलाई, 1972 को हिमाचल प्रदेश प्रदेश की राजधानी शिमला में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री जुल्फीकार अली भुट्टो के बीच संधि हुई, जिसे ‘शिमला समझौता’ कहा जाता है। समझौता के मुताबिक युद्ध के बाद दोनों देशों के बीच पैदा हुए मतभेदों को दूर करना, शांति बहाली और भविष्य में रिश्तों को बेहतर करना था।समझौते की मुख्य शर्तें
1 तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप के बिना सभी विवाद आपसी बातचीत से सुलझाएंगे। यह भारत की कूटनीतिक जीत थी, क्योंकि पाकिस्तान कश्मीर मसले को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाने की कोशिश करता रहा है।पाकिस्तान करता रहा उल्लंघन
पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र से लेकर इस्लामी सहयोग संगठन (ओआइसी) तक न जाने कितने ही वैश्विक मंचों पर कश्मीर मुद्दे को कई उठाया। हालांकि हर बार वह इन मंचों पर झूठा साबित हुआ।समझौता रद्द हुआ तो भारत को ये फायदे
1 सेना को खुली छूट : यदि समझौता रद्द हुआ तो भारतीय सेना को इसका लाभ मिलेगा। 1984 में पाक ने कराची समझौते के तहत सीमांकित भारतीय क्षेत्र सियाचिन ग्लेशियर पर कब्जे की कोशिश की थी, जवाब में भारत ने ऑपरेशन मेघदूत शुरू किया और ग्लेशियर पर नियंत्रण हासिल कर लिया।पाकिस्तान को एक बूंद पानी नहीं: सिंधु जल संधि निलंबन पर अमित शाह की अहम बैठक में बड़ा फैसला
2 सुरक्षा बढ़ाने का विकल्प : यदि समझौता रद्द होता है तो भारत के पास आतंकी घुसपैठ से प्रभावित क्षेत्रों की सुरक्षा बढ़ा बढ़ाने का विकल्प रहेगा। पहलगाम हमला: संदिग्ध खच्चर मालिक हिरासत में, चश्मदीद महिला से पूछा था धर्म, फिर की बंदूकों की बात
3 सहयोगी साथ आ सकते हैं : समझौता रद्द हो चुका, लिहाजा भारत अब अमरीका, इजरायल और पश्चिम एशियाई सहयोगियोंं के प्रभाव का इस्तेमाल कर पाकिस्तान को अलग-थलग कर सकता है।