भारत के मामले में टैरिफ बढ़ाने का खतरा
हालांकि, भारत के साथ अभी तक कोई व्यापार समझौता नहीं हुआ है, लेकिन ट्रंप के बयान से यह स्पष्ट है कि भारत के लिए टैरिफ में वृद्धि हो सकती है। ट्रंप का कहना है, “भारत हमारे अच्छे दोस्त रहा है, लेकिन भारत ने व्यापारिक दृष्टि से अन्य देशों की तुलना में अत्यधिक टैरिफ लगाया है।” ट्रंप ने कहा कि यह अब अस्वीकार्य है और अमेरिका को भारत से उचित व्यापार संबंधों की उम्मीद है।
भारत के व्यापार नीति पर सवाल
अमेरिका और भारत के बीच एक द्विपक्षीय व्यापार समझौता बनाने की कोशिश की जा रही है, लेकिन भारत ने कई अहम मुद्दों पर समझौता करने से इनकार कर दिया है। खासकर, भारत ने कृषि और डेयरी उत्पादों पर शुल्क कम करने का प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया है। इसके अलावा, भारत ने जीएम (जेनिटिकली मॉडिफाइड) कृषि उत्पादों को भी अपने बाजार में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी है।
क्या हैं अगले कदम ?
अमेरिका और भारत के बीच व्यापार वार्ता में अहम मोड़ आ सकता है, क्योंकि एक अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल अगस्त के आखिरी सप्ताह में भारत दौरा करेगा। अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जेम्सन ग्रीर का कहना है कि अमेरिका को भारत के साथ व्यापार समझौते के लिए और समय चाहिए। अमेरिका यह जानना चाहता है कि भारत अपने बाजार को कितनी हद तक अमेरिकी उत्पादों के लिए खोलेगा।
भारत की ओर से आपत्तियां
भारत के लिए विशेष रूप से कृषि उत्पादों और डेयरी उत्पादों पर शुल्क कम करने में कठिनाई हो सकती है। इसके अलावा, जीएम कृषि उत्पादों को लेकर भारत का रुख कठोर है, जो अमेरिकी अधिकारियों के लिए एक बड़ा मुद्दा बन चुका है।
अमेरिका-भारत व्यापार संघर्ष: अगला कदम क्या होगा ?
भारत और अमेरिका के व्यापारिक रिश्ते में आने वाले महीनों में और जटिलताएं आ सकती हैं। जहां एक ओर ट्रंप प्रशासन ने टैरिफ बढ़ाने की धमकी दी है, वहीं भारत अपनी घरेलू नीति और आर्थिक सुरक्षा को बनाए रखने की कोशिश कर रहा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या दोनों देश आपसी हितों को संतुलित करने में सफल होते हैं या यह व्यापार संघर्ष और भी बढ़ेगा।
क्या यह भारतीय व्यापारिक नीति के लिए संकट है?
टैरिफ युद्ध का खतरा – क्या अमेरिका के साथ व्यापार संबंधों में तनाव बढ़ेगा? कृषि और डेयरी उत्पादों पर सहमति – क्या भारत अपने कृषि उत्पादों के लिए अमेरिकी बाजार खोल पाएगा? भारत की घरेलू सुरक्षा नीति – क्या भारत अपनी आर्थिक सुरक्षा को प्राथमिकता देगा या व्यापारिक समझौतों को? क्या आपको लगता है कि भारत को इस व्यापार संघर्ष में एक नई रणनीति अपनानी चाहिए? या फिर यह तनाव सिर्फ अस्थायी है ?