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भारत पर अमेरिकी दबाव: पहले CTBT प्रतिबंध, अब रूस के कंधे पर 25% टैरिफ, पढ़िए इनसाइड स्टोरी

अमेरिका ने पहले पोकरण परमाणु परीक्षण के बाद भारत पर सीटीबीटी प्रतिबंध लगाए थे,अब उसने भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने के लिए रूस को ढाल बनाया है। पढ़िए एम आई जाहिर की स्पेशल रिपोर्ट:

भारतJul 31, 2025 / 09:17 pm

M I Zahir

India CTBT sanctions and Trump Tariff

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। (फोटो: ANI.)

India CTBT sanctions and Trump Tariff: अमेरिका की खुद को दुनिया का सर्वेसर्वा और दूसरे देशों को कमतर समझने की सोच कोई आज की नहीं है। वह ऐसा पहले भी करता रहा है। भारत ने जब पोकरण परमाणु परीक्षण किया था तो सीएआईए ( CIA)सहित दुनिया भर की गुप्तचर एजेंसियों को इसकी कानोंकान भनक नहीं लगी थी। यह बात तब अमेरिका को बहुत ना गवार गुजरी थी। खुन्नस खा कर उसने भारत पर सीटीबीटी प्रतिबंध (nuclear sanctions lifted) लगा दिए थे। अमेरिका ने अब भारत पर एक बार फिर सख्त व्यापारिक रुख (India CTBT sanctions and Trump Tariff) अपनाया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ( Donald Trump) ने हाल ही में भारत से आने वाले सामान पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। इस फैसले के पीछे उन्होंने भारत और रूस के बढ़ते व्यापारिक रिश्तों को वजह बताया है। ट्रंप ने कहा कि भारत लगातार रूस से हथियार और ऊर्जा खरीद रहा है, जबकि अमेरिका के साथ उसका व्यापार बहुत कम है। यानि अमेरिका के लिए भारत को गिरफ्त में लेने के लिए पहले पोकरण परमाणु परीक्षण कारण बना था और अब वह रूस के कंधे पर बंदूक रख कर अपना हित साध रहा है।

पोकरण‑II परमाणु परीक्षण व परमाणु रक्षा डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की सोच

पूर्व राष्ट्रपति और पोकरण परमाणु परीक्षण के मुख्य सूत्रधार मिसाइलमैन भारत रत्न डा एपीजे अब्दुल कलाम ने देश को पृथ्वी, नाग, आकाश, त्रिशूल और अग्नि प्रक्षेपास्त्र देने वाले मिसाइलमैन पूर्व राष्ट्रपति व रक्षा वैज्ञानिक भारत रत्न डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की अपणायत के शहर जोधपुर के साथ कई मधुर यादें जुड़ी हुई हैं। वे रक्षा अनुसंधान व विकास संगठन से जुड़ी जोधपुर की रक्षा प्रयोगशाला में तो वे खूब आए। यहां के प्रयोगों में उनकी यादें बसती हैं। मई 1998 में पोकरण द्वितीय परमाणु परीक्षण व परमाणु रक्षा उनके दिमाग की ही सोच थी। उनकी इस सोच के कारण भारत परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र बना।
Atal Bihari Vajpayee, George Fernandes and APJ Abdul Kalam during the Pokhran nuclear test. File photo: X Handle Lone Wolf Ratnakar
पोकरण परमाणु परीक्षण के समय अटलबिहारी वाजपेयी, जॉर्ज फर्नांडीस और एपीजे अब्दुल कलाम। फाइल फोटो: X Handle Lone Wolf Ratnakar

मेजर जनरल पृथ्वीराज बन कर मंडी में ड्राइवर बन कर पहुंचे थे कलाम

पोकरण परमाणु परीक्षण के समय डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम खुद जोधपुर आए थे और जोधपुर की पावटा सब्जी मंडी से ट्रक में आलू भर ड्राइवर बन सिर पर साफा बांध कर पोकरण गए थे। इस मिशन के दौरान वे मेजर जनरल पृथ्वीराज बन कर आए थे। यह उनकी सूझबूझ का ही परिणाम था कि अमरीका की एजेंसी सीआईए तक को यह पता नहीं चला कि भारत ने परमाणु परीक्षण किया है। नतीजतन खुन्नस खा कर अमेरिका ने भारत पर सीटीबीटी प्रतिबंध लगाए।

पोकरण परमाणु परीक्षण के बाद किस देश ने भारत पर प्रतिबंध लगाए

देश / संस्थानप्रतिबंध की अवधिप्रतिबंध का स्वरूप
अमेरिका1998 (लगभग 6 महीने)आर्थिक सहायता बंद, रक्षा/तकनीकी उपकरणों की निर्यात रोक, अंतर्राष्ट्रीय ऋण संस्थानों से लोन विरोध
कनाडा1998–1999परमाणु संबंध सहायता अवरुद्ध
जापान1998–2001नई सरकारी सहायता रोक, वितीय सहायता सीमित
यूरोपीय संघ और अन्य देश1998 की अवधि मेंतकनीकी और व्यापार सहयोग पर रोक

परीक्षण कब, कहाँ और कैसे हुआ

  • तारीख: 11 और 13 मई 1998 (मुख्य दो परीक्षण)।
  • स्थान: राजस्थान के पोकरण क्षेत्र, विशेष रूप से चाम्बल रेज के तहत किया गया।
  • प्रकार: भूमिगत परमाणु परीक्षण – कुल पाँच बम परीक्षण किए गए।

ट्रंप ने भारत पर टैरिफ कब, क्यों और क्या लगाया ?

  • बताई गई घोषणा: 30 जुलाई 2025 को डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की कि 1 अगस्त 2025 से भारत से आयातित वस्तुओं पर 25% टैरिफ लगाया जाएगा, साथ ही रूस से रक्षा और ऊर्जा खरीद पर एक अतिरिक्त ‘penalty’ भी लगेगी।
  • तर्क: उन्होंने कहा कि भारत के टैरिफ बहुत ऊँचे हैं, अमेरिका के साथ व्यापार बहुत कम हुआ है और रूस के साथ भारत के संबंध अमेरिका के हितों के विपरीत हैं। इसलिए यह कदम ज़रूरी था।
  • प्रभाव: अनुमानित व्यापार घाटा ₹3.79 लाख करोड़ रुपये (2024 में), भारतीय स्मार्टफोन, आभूषण, दवाइयां, वस्त्र, औद्योगिक मशीनरी प्रभावित हो सकते हैं।

अमेरिका प्रतिबंध क्यों लगाता है?

  • रणनीतिक दबाव, व्यापार-तुलनात्मक घाटा, उच्च भारतीय टैरिफ और रूस/भारत के रक्षा-ऊर्जा संबंधों के चलते अमेरिका ऐसे कदम उठाता है।
  • प्रतिबंधों का उद्देश्य व्यापार बातचीत में स्थिति को मजबूती देना और व्यापार समझौतों को निष्पक्ष बनाना है।

ये प्रतिबंध 6 महीने बाद हटाए ,25% टैरिफ लागू कर फिर तनाव पैदा किया

संक्षेप में, वाजपेयी सरकार के समय पोकरण‑II परीक्षणों के बाद अमेरिका समेत कई देशों ने CTBT संबंधित आर्थिक प्रतिबंध लगाए थे। ये प्रतिबंध लगभग छह महीने बाद धीरे-धीरे हटाए गए। इन प्रतिबंधों के बाद भारत को कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर चुनौती झेलनी पड़ी थी।अब ट्रंप प्रशासन ने भारत पर 25% टैरिफ लागू कर एक बार फिर व्यापार तनाव पैदा कर दिया है, जिसका उद्देश्य भारत की रक्षा-ऊर्जा रूस से संबंधों और उच्च व्यापार बाधाओं को कमी के लिए दबाव बनाना है। हालांकि, कुछ ही महीनों में भारत की स्थिति को लेकर वैश्विक रुख बदलने लगा और कई प्रतिबंध हटा लिए गए।

ट्रंप के नए टैरिफ से भारत को कहाँ नुकसान होगा ?

ज्वैलरी और हैंडीक्राफ्ट सैक्टर पर सीधा असर पड़ सकता है।
अमेरिका में सीफूड और टेक्सटाइल जैसे उत्पादों की कीमतें बढ़ेंगी।

स्मार्टफोन और फार्मा इंडस्ट्री पर असर कम रहेगा

भारत का निर्यात घाटा बढ़ सकता है

भारत सरकार ने कहा है कि वह ट्रंप की घोषणाओं का अध्ययन कर रही है और निष्पक्ष व्यापार संबंध बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।

अमेरिका क्यों लगाता है ऐसे प्रतिबंध ?

अमेरिका अक्सर उन देशों पर आर्थिक या व्यापारिक प्रतिबंध लगाता है जिनकी नीतियाँ उसके रणनीतिक हितों के खिलाफ जाती हैं। भारत का रूस के साथ रक्षा और ऊर्जा सहयोग, अमेरिका को असहज करता है।

पोकरण परमाणु परीक्षण कब और कहां हुआ था

भारत ने पहला परमाणु परीक्षण 18 मई 1974 को किया था, जिसे “स्माइलिंग बुद्धा” नाम दिया गया था। इसके बाद दूसरा बड़ा परीक्षण 11 और 13 मई 1998 को किया गया, जिसे पोकरण-II कहा जाता है। ये परीक्षण अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री रहते हुए हुए थे। यह परीक्षण राजस्थान के जैसलमेर ज़िले में स्थित पोकरण परीक्षण स्थल पर किया गया था। यह एक रेगिस्तानी और दूर-दराज़ इलाका है, जिसे रणनीतिक रूप से परीक्षण के लिए चुना गया था। सन 1998 के पोकरण परीक्षणों में भारत ने कुल 5 न्यूक्लियर डिवाइस परीक्षण किए। इनमें थर्मोन्यूक्लियर और फिज़न बम शामिल थे। वैज्ञानिकों ने इसे गुप्त रूप से तैयार किया और बड़ी सावधानी से भूमिगत सुरंगों में परीक्षण किया ताकि अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों को भनक न लगे।

क्या है सीटीबीटी CTBT ?(Comprehensive Nuclear-Test-Ban Treaty)


CTBT (व्यापक परमाणु-परीक्षण-प्रतिबंध संधि) एक अंतरराष्ट्रीय संधि है जिसका उद्देश्य दुनिया में किसी भी प्रकार के परमाणु परीक्षणों को पूरी तरह से रोकना है।
सभी सदस्य देशों को परमाणु विस्फोट करने से रोकना।
शांति और परमाणु निरस्त्रीकरण को बढ़ावा देना।

रेडिएशन और पर्यावरण को बचाना।

स्थिति: संधि 1996 में UN महासभा में पेश हुई थी।

लगभग 185 देशों ने इस पर हस्ताक्षर किए हैं, लेकिन इसमें से कुछ देशों ने अब तक इसे अनुमोदित (ratify) नहीं किया है।

सीटीबीटी पर भारत का रुख

भारत ने CTBT पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं, क्योंकि भारत को इसमें “परमाणु हथियार संपन्न देश” के रूप में मान्यता नहीं दी गई।

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