अगर थाईलैंड और कंबोडिया में हुआ युद्ध, तो भारत पर कैसे पड़ेगा असर?
अगर थाईलैंड और कंबोडिया में हुआ युद्ध, तो भारत पर कैसे पड़ेगा असर, आइए आसान पॉइंट्स में समझते हैं।
◙ व्यापार और निवेश
भारत का थाईलैंड और कंबोडिया, दोनों देशों के साथ मज़बूत व्यापारिक संबंध हैं। 2025 में भारत का आसियान देशों के साथ लगभग 130 बिलियन डॉलर्स का व्यापार है। अगर दोनों देशों के बीच युद्ध हुआ तो सप्लाई चेन बाधित हो सकती है, जिससे भारत के एक्सपोर्ट (विशेष रूप से ऑटोमोबाइल, फार्मास्यूटिकल्स और कृषि उत्पाद) और इम्पोर्ट (इलेक्ट्रॉनिक्स और रबड़) पर प्रभाव पड़ सकता है।
◙ आर्थिक स्थिरता
अगर थाईलैंड और कंबोडिया में युद्ध हुआ, तो साउथईस्ट एशिया में आर्थिक अस्थिरता बढ़ सकती है। इससे भारत की एक्ट ईस्ट नीति और क्षेत्रीय व्यापार समझौतों पर असर पड़ सकता है।
◙ क्षेत्रीय स्थिरता
थाईलैंड और कंबोडिया दोनों आसियान (ASEAN) के सदस्य देश हैं और इस संगठन की एकता क्षेत्रीय शांति के लिए महत्वपूर्ण है। युद्ध से आसियान की विश्वसनीयता कमज़ोर हो सकती है, जिसका भारत पर अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि भारत की एक्ट ईस्ट नीति आसियान के साथ सहयोग पर निर्भर है।
◙ भू-राजनीतिक प्रभाव
कंबोडिया में चीन का प्रभाव बढ़ रहा है, विशेष रूप से रीम नौसैनिक पोर्ट के निर्माण के बाद। अगर युद्ध हुआ और चीन ने कंबोडिया का समर्थन किया, तो यह भारत की एक्ट ईस्ट नीति के लिए चुनौती बन सकता है, क्योंकि भारत, साउथईस्ट एशिया में चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने की कोशिश कर रहा है और चीन की युद्ध में दखलंदाज़ी या अप्रत्यक्ष रूप से कंबोडिया को समर्थन देने से यह संतुलन बिगड़ सकता है।
◙ सांस्कृतिक और धार्मिक प्रभाव
युद्ध का केंद्र प्रीह विहार और ता मुएन थोम जैसे हिंदू मंदिर हैं, जो भारत की सांस्कृतिक विरासत से जुड़े हैं। इन मंदिरों को नुकसान होने से भारत में धार्मिक और सांस्कृतिक और धार्मिक भावनाएं भी आहत हो सकती हैं।
◙ सैन्य और सुरक्षा प्रभाव
थाईलैंड और कंबोडिया में युद्ध होने पर साउथईस्ट एशिया में हथियारों की दौड़ तेज़ हो सकती है, जिससे क्षेत्रीय अस्थिरता बढ़ेगी। यह भारत के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि यह क्षेत्र भारत के समुद्री व्यापार के लिए महत्वपूर्ण है।