भारत के पास पाकिस्तान के खिलाफ पुख्ता सुबूत
थरूर ने कहा कि भारत के पास पुख्ता सुबूत हैं कि 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के पीछे पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी समूहों का हाथ था, जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों की जान गई थी। इस हमले के जवाब में भारत ने सीमा पार पाकिस्तान और POK के आतंकी ठिकानों पर सटीक सैन्य कार्रवाई की थी।
थरूर ने कोलंबिया की संवेदना पर निराशा जताई
शशि थरूर ने कोलंबिया सरकार की ओर से पाकिस्तान में हुई मौतों पर जताई गई संवेदना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “हम यह देख कर निराश हैं कि कोलंबिया ने आतंक के पीड़ितों की पीड़ा के बजाय उन पर कार्रवाई के बाद की क्षति पर शोक जताया है। इसमें एक नैतिक असंतुलन है।”
भारत ने केवल आत्मरक्षा के अधिकार का प्रयोग किया
उन्होंने कहा कि भारत ने केवल आत्मरक्षा के अपने अधिकार का प्रयोग किया है और यह कार्रवाई संप्रभुता की रक्षा के तहत की गई। आतंकवाद के खिलाफ हमारी यह लड़ाई न्यायोचित और आवश्यक थी।
पाकिस्तान को चीन से मिल रही सैन्य मदद पर भी चिंता
थरूर ने चीन-पाकिस्तान सैन्य गठजोड़ पर चिंता जताते हुए कहा कि पाकिस्तान के 81% सैन्य उपकरण चीन से आते हैं और इनमें से अधिकतर आक्रामक हथियार हैं, जो भारत में आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने में सहायक बन रहे हैं। साथ ही उन्होंने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) पर भी भारत की आपत्ति दोहराई।
भारत का वैश्विक आतंकवाद विरोधी अभियान
शशि थरूर के नेतृत्व में भारतीय सांसदों का यह प्रतिनिधिमंडल पनामा और गुयाना के बाद कोलंबिया पहुंचा है। यह यात्रा भारत सरकार की उस रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत 33 वैश्विक राजधानियों में बहुपक्षीय संवादों के माध्यम से भारत का पक्ष रखा जा रहा है। प्रतिनिधिमंडल में कई दलों के नेता शामिल हैं -जिनमें तेजस्वी सूर्या (भाजपा), मिलिंद देवड़ा (शिवसेना), भुवनेश्वर कलिता (भाजपा), शशांक मणि त्रिपाठी (भाजपा), सरफराज अहमद (झामुमो), जीएम हरीश बालयोगी (तेदेपा) और पूर्व राजदूत तरनजीत सिंह संधू शामिल हैं।
राजनयिक नैरेटिव पर भारत की सख्ती
इस प्रकरण को केवल एक कूटनीतिक गलतफहमी नहीं, बल्कि भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि और वैश्विक आतंकवाद के नैरेटिव को तय करने की लड़ाई के रूप में देखा जाना चाहिए। शशि थरूर की यह तीखी प्रतिक्रिया एक बड़ा संकेत है कि भारत अब उन देशों के प्रति सख्त रवैया अपनाने को तैयार है जो आतंकवाद पर दोहरा मापदंड अपनाते हैं।
भारत-पाक तनाव: ऑपरेशन सिंदूर के बाद की स्थिति
गौरतलब है कि भारत ने 7 मई को पाकिस्तान और POK में आतंकी ठिकानों पर हवाई हमले किए गए थे, जिसे “ऑपरेशन सिंदूर” नाम दिया गया। इसके जवाब में पाकिस्तान ने 8 से 10 मई तक भारतीय सैन्य ठिकानों पर हमले करने की कोशिशें कीं, जिन्हें भारत ने सख्ती से नाकाम किया। अंततः 10 मई को दोनों देशों के सैन्य संचालन महानिदेशकों (DGMO) के बीच संवाद हुआ और सीमावर्ती हिंसा रोकने पर सहमति बनी।
शशि थरूर के बयान का व्यापक समर्थन
भारत में विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा मामलों के जानकारों ने शशि थरूर के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि कोलंबिया जैसी लोकतांत्रिक सरकार से अपेक्षा की जाती है कि वह आतंकवाद और आत्मरक्षा के बीच स्पष्ट अंतर समझे। पूर्व राजनयिक कँवल सिब्बल ने कहा, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आतंकवाद के इतने पुराने शिकार रहे भारत को अपनी स्थिति समझानी पड़ रही है, जबकि पाकिस्तान की सहानुभूति हासिल कर रहे आतंकी संगठनों के खिलाफ कोई स्पष्ट निंदा नहीं हो रही।”
भारत की कोलंबिया सरकार से कूटनीतिक संवाद के लिए पहल
सूत्रों के अनुसार, भारतीय विदेश मंत्रालय ने कोलंबिया की सरकार से उच्चस्तरीय कूटनीतिक संवाद के लिए पहल की है। जल्द ही बोगोटा में भारतीय दूतावास द्वारा स्पष्टीकरण नोट (demarche) जारी किया जा सकता है जिसमें भारत के दृष्टिकोण को औपचारिक रूप से रखा जाएगा। साथ ही, भारत ने कोलंबिया के साथ आतंकवाद निरोधक सहयोग बढ़ाने के प्रस्ताव पर भी चर्चा की है।
चीन-पाकिस्तान के बीच गहरे होते रक्षा संबंध पर नई बहस छिड़ी
बहरहाल इस प्रकरण के बीच, चीन-पाकिस्तान के बीच गहरे होते रक्षा संबंध पर भी नई बहस छिड़ गई है। थरूर की ओर से उठाया गया यह मुद्दा अब अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी गूंज सकता है क्योंकि चीन की ओर से पाकिस्तान को आक्रामक सैन्य साजो-सामान की आपूर्ति को भारत, क्षेत्रीय अस्थिरता का स्रोत मानता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह सिर्फ एक राजनयिक बहस नहीं, बल्कि भारत की आतंकवाद विरोधी रणनीति को वैश्विक स्तर पर स्वीकार्यता दिलाने का प्रयास है।