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पाकिस्तान: लड़की की मौत के विरोध में जबरदस्त हिंसक प्रदर्शन, सात लोगों की मौत

Tirah violent protest death: पाकिस्तान के तिराह में एक नाबालिग लड़की की मौत के बाद प्रदर्शन हिंसक हो गया। सुरक्षा बलों की गोलीबारी में सात लोग मारे गए और कई घायल हुए।

भारतJul 28, 2025 / 02:47 pm

M I Zahir

Tirah violent protest death

पाकिस्तान के खैबर में एक नाबालिग लड़की की मौत के बाद हिंसक प्रदर्शन से हालात खराब। ( फोटो: ANI.)

Tirah violent protest death: पाकिस्तान के खैबर जिले के तिराह क्षेत्र में एक नाबालिग लड़की (Girl death in Pakistan) की मौत के बाद हालात बिगड़ गए। विरोध प्रदर्शन (Tirah protest) ने हिंसक रूप ले लिया, जिसमें सुरक्षा बलों की गोलीबारी में कम से कम सात लोगों की मौत हो गई और दर्जनों घायल हो गए। घटना की शुरुआत रविवार को उस समय हुई, जब स्थानीय आदिवासी समुदाय के सैकड़ों लोग एक मृत लड़की का शव लेकर बाग-मैदान स्थित सेना के कैंप (Army camp) के बाहर पहुंचे। प्रदर्शनकारियों का दावा था कि यह बच्ची ज़ख़ाख़ेल के पीर मेला (Zakhakhel Peer Fair) इलाके में हुए मोर्टार हमले का शिकार हुई थी। प्रदर्शन की शुरुआत शांतिपूर्ण ढंग से हुई थी, लेकिन कुछ गुस्साए युवकों ने भीड़ को उकसा दिया। उन्होंने बुजुर्गों की शांति की अपील को दरकिनार कर दिया और सेना कैंप के सामने खड़ी एक खुदाई मशीन में आग (Violent clash Tirah) लगा दी। इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने मुख्य गेट भी तोड़ने की कोशिश की।

सुरक्षा बलों की प्रतिक्रिया

स्थिति के बिगड़ने पर सेना ने भीड़ को काबू में लाने के लिए फायरिंग शुरू कर दी। इस गोलीबारी में छह लोग मौके पर ही मारे गए और 17 लोग घायल हो गए। बाद में घायलों में से एक ने दम तोड़ दिया, जिससे मृतकों की कुल संख्या सात हो गई।

घायलों की हालत और इलाज

घायलों को नजदीकी अस्पतालों – शाह कास जमरूद, बारा और पेशावर के हयाताबाद मेडिकल कॉम्प्लेक्स – में भर्ती कराया गया है। कुछ घायलों की हालत गंभीर बताई जा रही है।

स्थिति शांत करने की कोशिश

बाद में, आदिवासी समुदाय के वरिष्ठ नेताओं ने सैन्य अधिकारियों से बातचीत की। इस संवाद के बाद प्रदर्शनकारियों को शांत कराया गया और वे धीरे-धीरे वापस लौट गए। सेना ने भरोसा दिलाया कि घटना की निष्पक्ष जांच की जाएगी और दोषियों पर कार्रवाई होगी।

सरकारी सहायता की घोषणा

खैबर पख्तूनख्वा सरकार ने मृतकों के परिवारों को एक-एक करोड़ रुपये और घायलों को 25 लाख रुपये की सहायता राशि देने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से कहा गया कि शांति बहाली के लिए आदिवासी प्रतिनिधियों के साथ बैठक बुलाई जाएगी।

वीडियो और सोशल मीडिया पर वायरल दृश्य

सोशल मीडिया पर कई वीडियो सामने आए हैं, जिनमें प्रदर्शनकारियों को सेना के शिविर पर पत्थर फेंकते और मशीनरी में आग लगाते देखा जा सकता है। वीडियो में गोलीबारी की आवाज़ें और चीख-पुकार के बीच लोग भागते नजर आते हैं।

जनता और नेताओं की प्रतिक्रिया

स्थानीय नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और सुरक्षा बलों की ओर से बल प्रयोग को लेकर सवाल खड़े किए हैं। कई मानवाधिकार संगठनों ने जांच की मांग की है।

अगला कदम: क्या जांच होगी ?

घटना की गंभीरता को देखते हुए यह सवाल उठ रहे हैं कि क्या सरकार या सेना कोई स्वतंत्र जांच शुरू करेगी? क्या दोषियों को सजा मिलेगी? क्या पीड़ित परिवारों को न्याय मिलेगा या मामला ठंडे बस्ते में चला जाएगा?

यह घटना क्षेत्र की संवेदनशीलता उजागर करती है

बहरहाल तिराह क्षेत्र पहले से ही लंबे समय से असुरक्षा और सरकारी उपेक्षा का शिकार रहा है। यहां चरमपंथी गतिविधियों, सैन्य कार्रवाइयों और जनजातीय असंतोष का इतिहास रहा है। ऐसे में यह घटना फिर से क्षेत्र की संवेदनशीलता को उजागर करती है।

घटनाक्रम पर सुलगते सवाल

क्या इस घटना की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच की जाएगी? जांच रिपोर्ट कब सार्वजनिक होगी ?

क्या पीड़ित परिवारों को वादा किए गए मुआवज़े और राहत सामग्री समय पर मिल पाएगी ?
तिराह क्षेत्र में भविष्य में हिंसा की रोकथाम के लिए प्रशासन क्या स्थाई कदम उठाएगा ?

इस घटना से प्रभावित क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था में क्या बदलाव किए जाएंगे ?

सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर आदिवासी समुदाय के साथ बेहतर संवाद और उनके अधिकारों की सुरक्षा के लिए क्या प्रयास होंगे ?

तिराह घाटी और हिंसा: कुछ अछूते पहलू

—तिराह घाटी का यह इलाका लंबे समय से राजनीतिक और सामाजिक अस्थिरता का गढ़ रहा है, जहां आदिवासी जनजीवन और सुरक्षा बलों के बीच तनाव की जड़ें गहरी हैं।
—यहां की जनजातीय न्याय व्यवस्था (जिरगा) और सरकारी व्यवस्था में तालमेल की कमी के कारण विवाद अक्सर हिंसक रूप ले लेते हैं।

—चरमपंथी और आतंकवादी गतिविधियां भी इस क्षेत्र की जटिलताओं को बढ़ाती हैं, जिससे आम जनता की सुरक्षा चुनौतीपूर्ण होती है।
—इस हिंसा को आदिवासी युवाओं में बढ़ते असंतोष और रोजगार, शिक्षा की कमी से भी जोड़ा जा सकता है।

—भविष्य में तिराह के स्थायी विकास और शांति के लिए सरकार, जनजातीय नेतृत्व और नागरिक समाज के बीच मजबूत साझेदारी जरूरी है।

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