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रूस से तेल खरीद पर सवाल उठाने वाले देशों को भारत के उच्चायुक्त ने आड़े हाथों लिया, किया ऐसा तीखा सवाल

India Russia oil import response: ब्रिटेन में भारतीय उच्चायुक्त विक्रम दोरईस्वामी ने रूस से तेल खरीद पर पश्चिमी देशों की आलोचना को सख़्ती से खारिज किया।

भारतJul 28, 2025 / 03:32 pm

M I Zahir

India Russia oil import response

ब्रिटेन में भारत के उच्चायुक्त विक्रम दोरईस्वामी ने रूस से भारत के तेल आयात पर पश्चिमी देशों की आलोचना की है। ( फोटो: X Handle.)

India Russia oil import response: ब्रिटेन में भारत के उच्चायुक्त विक्रम दोरईस्वामी (Vikram Doraiswami UK interview) ने रूस से भारत के तेल आयात (India Russian oil imports) पर पश्चिमी देशों की आलोचना को पूरी तरह नकार दिया है। उन्होंने कहा कि कोई भी देश अपनी अर्थव्यवस्था को नुकसान नहीं पहुंचा सकता। उन्होंने ब्रिटेन के टाइम्स रेडियो को दिए गए इंटरव्यू में बताया कि भारत के कई यूरोपीय साझेदार भी उन्हीं देशों से महत्वपूर्ण कच्चा माल (Russian crude oil India) और ऊर्जा खरीदते रहते हैं, जो भारत से तेल खरीदने की आलोचना (India West oil criticism ) करते हैं। उन्होंने इसे असंगत और अजीब करार दिया। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक है। पहले यह तेल मुख्य रूप से मध्य पूर्व से आता था, लेकिन रूस ने यूक्रेन पर हमले के बाद अपने तेल की कीमत में भारी छूट दी, जिससे भारत ने रूस से तेल खरीदना शुरू कर दिया। रूस पर पश्चिमी देशों ने प्रतिबंध लगाए हैं, लेकिन भारत ने अपने विकास और ऊर्जा जरूरतों को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया है।

यह संबंध दशकों पुराने सुरक्षा सहयोग और ऊर्जा पर आधारित

जब उनसे रूस के साथ भारत के संबंधों के बारे में पूछा गया, तो दोराईस्वामी ने कहा कि यह संबंध कई दशकों पुराने सुरक्षा सहयोग और ऊर्जा जरूरतों पर आधारित हैं। उन्होंने बताया कि पहले कई पश्चिमी देश भारत को हथियार नहीं बेचते थे, जबकि वे पड़ोसी देशों को हथियार देते थे, जिनका उपयोग भारत के खिलाफ होता था।

भारत ऊर्जा के लिए लगभग 80% चीजें आयात करता है

उन्होंने यह भी बताया कि भारत ऊर्जा के लिए लगभग 80% चीजें आयात करता है और दुनिया में तीसरे नंबर का सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या भारत अपनी अर्थव्यवस्था को ठप कर सकता है क्योंकि बाकी दुनिया उन्हीं स्रोतों से ऊर्जा खरीदती है, जहां से भारत पहले खरीदता था।

वो भारत के लिए मुश्किलें खड़ी करते हैं

दोराईस्वामी ने कहा कि भारत अपने पड़ोस में ऐसे रिश्ते देखता है, जहां दूसरे देश अपनी सहूलियत के लिए ऐसे देशों से संबंध बनाते हैं जो भारत के लिए मुश्किलें खड़ी करते हैं। उन्होंने सवाल किया कि क्या भारत से किसी देश से वफादारी की परीक्षा लेने की उम्मीद की जा सकती है।

युद्ध की जगह शांति होनी चाहिए : मोदी

रूस-यूक्रेन संघर्ष पर उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बार-बार कहा है कि युद्ध की जगह शांति होनी चाहिए। मोदी ने रूस और यूक्रेन दोनों के नेताओं से इस मुद्दे पर बातचीत की है। भारत चाहता है कि यह खतरनाक युद्ध जल्द खत्म हो।

भारत की विदेश नीति और राष्ट्रीय हित दर्शाता है

भारतीय उच्चायुक्त का यह बयान भारत की विदेश नीति और राष्ट्रीय हितों की मजबूती दर्शाता है। यह स्पष्ट करता है कि भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए स्वतंत्र निर्णय लेने का अधिकार रखता है।

देश की संप्रभुता और आर्थिक हितों की रक्षा

पश्चिमी देशों की आलोचना के जवाब में यह जवाब देश की संप्रभुता और आर्थिक हितों की रक्षा के तौर पर देखा जा रहा है। कई विशेषज्ञ इसे भारत की बढ़ती आर्थिक और राजनीतिक स्वायत्तता के संकेत के रूप में देख रहे हैं।

इस मुददे पर सुलगते सवाल

क्या भारत रूस से तेल आयात पर किसी स्तर पर संशोधन करेगा ?

पश्चिमी देशों और भारत के बीच इस मुद्दे पर कूटनीतिक संवाद का क्या परिणाम होगा ?
ऊर्जा सुरक्षा के लिए भारत की भविष्य की रणनीतियाँ क्या होंगी ?

भारत के ऊर्जा क्षेत्र में वैकल्पिक स्रोतों को बढ़ावा देने के कदम कब तक आएंगे ?

इस मामले के कुछ अछूते पहलू

इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि भारत ऊर्जा और सुरक्षा मामलों में पश्चिमी देशों के दबावों को कम महत्व देता है।
भारत-रूस के बीच लंबे समय से चल रहे सुरक्षा और रणनीतिक संबंधों को नई चुनौती नहीं मिलने दी जाएगी।

यह स्थिति वैश्विक राजनीतिक खेल में भारत की स्वतंत्र भूमिका और कई ताकतों के बीच संतुलन बनाये रखने की रणनीति को दर्शाती है।
रूस पर लगे पश्चिमी प्रतिबंधों के बीच भारत का यह रुख आर्थिक रूप से भी उसे मजबूती देता है।

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