यह संबंध दशकों पुराने सुरक्षा सहयोग और ऊर्जा पर आधारित
जब उनसे रूस के साथ भारत के संबंधों के बारे में पूछा गया, तो दोराईस्वामी ने कहा कि यह संबंध कई दशकों पुराने सुरक्षा सहयोग और ऊर्जा जरूरतों पर आधारित हैं। उन्होंने बताया कि पहले कई पश्चिमी देश भारत को हथियार नहीं बेचते थे, जबकि वे पड़ोसी देशों को हथियार देते थे, जिनका उपयोग भारत के खिलाफ होता था।
भारत ऊर्जा के लिए लगभग 80% चीजें आयात करता है
उन्होंने यह भी बताया कि भारत ऊर्जा के लिए लगभग 80% चीजें आयात करता है और दुनिया में तीसरे नंबर का सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या भारत अपनी अर्थव्यवस्था को ठप कर सकता है क्योंकि बाकी दुनिया उन्हीं स्रोतों से ऊर्जा खरीदती है, जहां से भारत पहले खरीदता था।
वो भारत के लिए मुश्किलें खड़ी करते हैं
दोराईस्वामी ने कहा कि भारत अपने पड़ोस में ऐसे रिश्ते देखता है, जहां दूसरे देश अपनी सहूलियत के लिए ऐसे देशों से संबंध बनाते हैं जो भारत के लिए मुश्किलें खड़ी करते हैं। उन्होंने सवाल किया कि क्या भारत से किसी देश से वफादारी की परीक्षा लेने की उम्मीद की जा सकती है।
युद्ध की जगह शांति होनी चाहिए : मोदी
रूस-यूक्रेन संघर्ष पर उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बार-बार कहा है कि युद्ध की जगह शांति होनी चाहिए। मोदी ने रूस और यूक्रेन दोनों के नेताओं से इस मुद्दे पर बातचीत की है। भारत चाहता है कि यह खतरनाक युद्ध जल्द खत्म हो।
भारत की विदेश नीति और राष्ट्रीय हित दर्शाता है
भारतीय उच्चायुक्त का यह बयान भारत की विदेश नीति और राष्ट्रीय हितों की मजबूती दर्शाता है। यह स्पष्ट करता है कि भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए स्वतंत्र निर्णय लेने का अधिकार रखता है।
देश की संप्रभुता और आर्थिक हितों की रक्षा
पश्चिमी देशों की आलोचना के जवाब में यह जवाब देश की संप्रभुता और आर्थिक हितों की रक्षा के तौर पर देखा जा रहा है। कई विशेषज्ञ इसे भारत की बढ़ती आर्थिक और राजनीतिक स्वायत्तता के संकेत के रूप में देख रहे हैं।
इस मुददे पर सुलगते सवाल
क्या भारत रूस से तेल आयात पर किसी स्तर पर संशोधन करेगा ? पश्चिमी देशों और भारत के बीच इस मुद्दे पर कूटनीतिक संवाद का क्या परिणाम होगा ? ऊर्जा सुरक्षा के लिए भारत की भविष्य की रणनीतियाँ क्या होंगी ? भारत के ऊर्जा क्षेत्र में वैकल्पिक स्रोतों को बढ़ावा देने के कदम कब तक आएंगे ?
इस मामले के कुछ अछूते पहलू
इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि भारत ऊर्जा और सुरक्षा मामलों में पश्चिमी देशों के दबावों को कम महत्व देता है। भारत-रूस के बीच लंबे समय से चल रहे सुरक्षा और रणनीतिक संबंधों को नई चुनौती नहीं मिलने दी जाएगी। यह स्थिति वैश्विक राजनीतिक खेल में भारत की स्वतंत्र भूमिका और कई ताकतों के बीच संतुलन बनाये रखने की रणनीति को दर्शाती है।
रूस पर लगे पश्चिमी प्रतिबंधों के बीच भारत का यह रुख आर्थिक रूप से भी उसे मजबूती देता है।