स्कूलों की मान्यता में होगी सख्ती
सचिव ने बताया कि पहले स्कूलों को मान्यता के लिए भवन, शिक्षक और शिक्षण के सभी मानक पूरे करने होते थे। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में सशर्त मान्यता देने की वजह से कई ऐसे स्कूल भी चलने लगे जिनके पास न तो पर्याप्त भवन थे, न ही योग्य शिक्षक। इससे शिक्षा की गुणवत्ता पर असर पड़ा। अब फिर से सभी स्कूलों के लिए सख्त मानक तय किए जा रहे हैं और नई मान्यता के नियम भी कड़े किए गए हैं।
व्यावसायिक पाठ्यक्रम होंगे अपडेट
यूपी बोर्ड के सचिव ने यह भी कहा कि बोर्ड के कई व्यावसायिक पाठ्यक्रम पुराने हो चुके हैं और उनमें प्रयोगात्मक उपकरणों की कमी है, जिससे छात्रों की रुचि कम होती जा रही है। अब इन पाठ्यक्रमों को आधुनिक समय के हिसाब से अपडेट किया जाएगा ताकि छात्रों को रोजगार से जुड़ी शिक्षा मिल सके।
शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए ठोस कदम
सचिव भगवती प्रसाद सिंह ने कहा कि केवल स्कूल खोल देने से शिक्षा का स्तर नहीं सुधरता। स्कूलों में पर्याप्त संसाधन, योग्य शिक्षक और सकारात्मक वातावरण जरूरी है। पिछले 20 वर्षों में स्कूल तो खूब खुले हैं, लेकिन उनमें शिक्षकों की कमी बनी रही है। यही कारण है कि शिक्षा का स्तर गिरा है। उन्होंने यह भी बताया कि छात्रों और शिक्षकों की उपस्थिति को लेकर सख्ती बरती जा रही है। अब ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज कराना अनिवार्य कर दिया गया है, जिससे नियमितता सुनिश्चित की जा सके।
पाठ्यपुस्तकों की आपूर्ति में सुधार
इस सत्र में यूपी बोर्ड को पाठ्यपुस्तकें उपलब्ध कराने में थोड़ी देरी जरूर हुई, लेकिन अब बोर्ड ने अगले सत्र के लिए तैयारी शुरू कर दी है। फरवरी तक सभी किताबें बाजार में मिलनी शुरू हो जाएंगी। इसके लिए टेंडर प्रक्रिया चल रही है। साथ ही, बोर्ड के पाठ्यक्रम को एनसीईआरटी के आधार पर भी अपडेट किया गया है।
प्री-बोर्ड परीक्षा के लिए निशुल्क प्रश्नपत्र
सचिव ने बताया कि इस बार प्री-बोर्ड परीक्षा के लिए स्कूलों को प्रश्नपत्र मुफ्त दिए जाएंगे। पहले बोर्ड आठ सेट में प्रश्नपत्र तैयार करता था, लेकिन पिछली बार 11 सेट बनाए गए थे ताकि किसी भी स्थिति में परीक्षा प्रभावित न हो। अब इन्हीं सेटों से प्री-बोर्ड परीक्षा कराई जाएगी।