टोंक/राजमहल। मानसून आगमन से पहले जयपुर, अजमेर व टोंक जिले की लाइफलाइन कहे जाने वाले बीसलपुर बांध की नहरों का जल्द ही जीर्णोद्धार कार्य शुरू होगा। जिससे नहरों से सिंचाई के दौरान व्यर्थ बहते पानी की बचत के साथ ही हर खेत तक पानी पहुंचेगा। सरकार की ओर से अब तक 35 करोड़ रुपए नहरों की मरम्मत पर खर्च किए जा चुके हैं। वहीं सरकार की ओर से जल्द ही बांध की दायीं व बायीं मुख्य नहरों पर 90 करोड़ से अधिक पर जीर्णोद्धार कार्य शुरू करने की तैयारी की जा रही है।
गौरतलब है कि बीसलपुर बांध निर्माण का मुख्य उद्देश्य अजमेर जिले में जलापूर्ति के साथ ही टोंक जिले में सिंचाई करना था। उसके बाद जयपुर जलापूर्ति का मुख्य स्त्रोत माने जानें वाले रामगढ़ बांध के सूखने के कगार पर पहुंचने के बाद बांध से जयपुर में जलापूर्ति की योजना बनाकर जलापूर्ति शुरू कर दी गई।
फिर बीसलपुर-टोंक- उनियारा पेयजल परियोजना शुरू कर टोंक जिले के साथ-साथ दौसा व सवाईमाधोपुर जिले के कुछ गांवों में बांध से पेयजल पहुंचाना शुरू कर दिया गया। जलापूर्ति को प्रथम उद्देश्य में रखते हुए सिंचाई की ओर भी सरकार का ध्यान भटकने लगा।
जिससे बांध की नहरें रखरखाव के अभाव में जीर्ण -शीर्ण होने लगी थी। इसके कारण नहरों के टेल तक पर्याप्त मात्रा में सिंचाई का पानी नहीं पहुंचने के साथ ही किसानों की ओर से धरना-प्रदर्शन होने लगा। अब सरकार की ओर से फिर से सिंचाई पर ध्यान देकर नहरों की मरम्मत पर कार्य शुरू किया गया है।
बीसलपुर बांध की दायी व बायीं मुख्य नहरों की मरम्मत के लिए 2023 से 2025 तक मरम्मत कार्य पर लगभग 35 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं। जिसके चलते इस वर्ष नहरों से सिंचाई के लिए छोड़े गए पानी के दौरान टेल तक के किसानों तक पर्याप्त मात्रा में सिंचाई का पानी पहुंच पाया है। वहीं वर्षों पूर्व निर्माणाधीन नहरों पर अभी भी मरम्मत की दरकार है। जिसको लेकर हाल ही के बजट घोषणा के दौरान राज्य सरकार ने करीब 90 करोड़ रुपए की लागत से दोनों मुख्य नहरों के जीर्णोद्धार करवाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
पानी की छीजत में होगा इजाफा
बीसलपुर बांध की दायीं व बायीं मुख्य नहरों का निर्माण 2004 व 2005 में हुआ था। जिनसे वर्तमान में दायीं मुख्य नहर से टोंक जिले की देवली,दूनी, उनियारा, टोंक शहरों से जुड़े गांव व कस्बों के साथ ही बायीं मुख्य नहर से टोडारायसिंह तहसील की कुल 81 हजार 800 हेक्टेयर भूमि सिंचित होती है।
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दोनों नहरों से सिंचाई के बाद जिले में करीब एक हजार करोड़ रुपए का अतिरिक्त उत्पादन होता है। अगर नहरों का जीर्णोद्धार होकर दायरा बढ़ाया जाता है तो जिले के किसानों का उत्पादन बढ़ने के साथ ही सिंचाई की दक्षता बढ़ेगी, पानी की बचत होकर छीजत कम होगी, खेतों में पानी भरने की समस्या से निजात मिलेगी।
इनका कहना है बीसलपुर बांध की दोनों नहरों पर रखरखाव का बीते दो वर्षों से लगातार जारी है। जिसके कारण इस टेल तक पानी पर्याप्त मात्रा में पहुंचा है। वहीं नहरों के जीर्णोद्धार से पानी की बचत होकर नहरों का दायरा बढ़ाने में सफलता मिलेगी।