प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि पुलिस ने युवक को बिना किसी दोष के थाने ले जाकर मारपीट की, जिससे वह गंभीर रूप से बीमार हो गया और बाद में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। पुलिस प्रशासन ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि युवक पूर्व से ही बीमार था और उसके साथ कोई मारपीट नहीं की गई थी।
ये है पूरा मामला
मृतक की पहचान आकाश (22) पुत्र धर्मपाल, जाति धानक, निवासी झुग्गी नहर के पास श्रीविजयनगर के रूप में हुई है। 31 मई की रात पुलिस ने उसे थाना लाकर 151 में पाबंद कर छोड़ा था। परिजनों का आरोप है कि थाने में उसके साथ मारपीट हुई, जिसके बाद उसकी तबीयत बिगड़ती गई। पांच दिन पहले उसे श्रीगंगानगर के जनसेवा अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उसकी मौत हो गई।
मौत की सूचना के बाद शव को श्रीविजयनगर लाया गया। पुलिस ने शव को श्रीविजयनगर राजकीय चिकित्सालय की मोर्चरी में रखवाया। यहां परिजनों और पुलिस के बीच धक्का-मुक्की की सूचना मिली। बाद में मामला उग्र हो गया और बड़ी संख्या में लोग अस्पताल के बाहर जुट गए। इसी दौरान पथराव भी हुआ।
प्रदर्शन में गंभीर आरोप और मांगें
प्रदर्शनकारियों ने पुलिस प्रशासन पर पक्षपात और आमजन को परेशान करने के गंभीर आरोप लगाए। वक्ताओं गोपाल मेघवाल, अवि दानेवालिया, प्रेम नागपाल और गुरसेवक ग्रेवाल ने कहा कि श्रीविजयनगर में खुलेआम नशा बिक रहा है, लेकिन पुलिस नशा बेचने वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करती। उन्होंने कॉन्स्टेबल पूनम कुमार के तबादले और मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की। नशे के कारण शहर में अपराध बढ़ रहे हैं और पुलिस आम लोगों को परेशान कर रही है।
घायल लोगों के नाम
प्रदर्शन के दौरान पथराव और भगदड़ में तीन लोग घायल हो गए। इनमें अशोक पुत्र प्रहलाद (वार्ड-17), धर्मेंद्र पुत्र छतूराम (वार्ड-19) और प्रतीक पुत्र नरेश कुमार शामिल हैं। प्रतीक मंदिर से घर लौटते वक्त पथराव की चपेट में आ गया और उसे इलाज के लिए सूरतगढ़ ले जाया गया है।
पुलिस बल तैनात, देर रात तक डटे रहे प्रदर्शनकारी
हालात बिगड़ते देख श्रीविजयनगर और आसपास के थानों से अतिरिक्त पुलिस बल बुलाया गया। देर रात तक मृतक के परिजन और बड़ी संख्या में कस्बेवासी अस्पताल के बाहर जमा रहे और न्याय की मांग करते रहे। पुलिस ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है।