scriptRajasthan: ग्वार का जादू खत्म, मूंग बनी किसानों की पहली पसंद, समर्थन मूल्य और भाव ने बदला रकबे का गणित | Farmers of Rajasthan sowing moong in large scale instead of guar support price have changed math of acreage | Patrika News
श्री गंगानगर

Rajasthan: ग्वार का जादू खत्म, मूंग बनी किसानों की पहली पसंद, समर्थन मूल्य और भाव ने बदला रकबे का गणित

राजस्थान के किसान ग्वार को छोड़कर एक बार मूंग की तरफ बढ़ते नजर आ रहे हैं। ताजा आंकड़ों के मुताबिक, ग्वार की बुआई में बड़े स्तर पर कमी दर्ज की गई है। कृषि विभाग के अधिकारी ने ऐसा होने के पीछे की वजह भी बताई है।

श्री गंगानगरJul 01, 2025 / 05:40 pm

Kamal Mishra

moong Farming

मूंग की फसल (फोटो- सोशल मीडिया)

श्रीगंगानगर। किसी समय एक लाख रुपए प्रति क्विंटल का भाव लेकर किसानों की नजरों में चढ़ा ग्वार अब लगता है उनकी नजर से उतर गया है। श्रीगंगानगर व हनुमानगढ़ जिलों में इस बार अब तक हुई ग्वार की बिजाई तो यही संकेत दे रही है। समर्थन मूल्य लाभकारी होने से अब मूंग किसानों के लिए ज्यादा फायदेमंद साबित हो रही है। यही वजह है कि साल दर साल मूंग का रकबा बढ़ता जा रहा है।
कृषि विभाग के उप निदेशक कार्यालय की ओर से खरीफ- 2025 में 30 जून तक हुई बिजाई के जो आंकड़े जारी किए गए हैं, जिसके अनुसार श्रीगंगानगर जिले में ग्वार की 2 लाख हेक्टेयर में बिजाई के लक्ष्य के विपरीत 31 हजार 210 हेक्टेयर में ही बिजाई हुई है, जो लक्ष्य का मात्र 15.61 प्रतिशत है। कमोबेश यही स्थिति हनुमानगढ़ जिले में रही है। इस जिले के लिए ग्वार की बिजाई का लक्ष्य 3 लाख 50 हजार हेक्टेयर था, जबकि बिजाई 86080 हेक्टेयर में हुई है। यह लक्ष्य का 24.59 प्रतिशत है।

बढ़ोतरी की संभावना

कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि ग्वार की बिजाई का उचित समय 30 जून तक होता है। किसान अब ज्यादा से ज्यादा जुलाई के प्रथम सप्ताह तक इसकी बिजाई कर सकते हैं। ऐसा हुआ भी तो दोनों जिलों में ग्वार का रकबा दस प्रतिशत तक बढ़ सकता है। अभी तक दोनों जिलों में 1 लाख 17 हजार 290 हेक्टेयर में ग्वार की बिजाई हुई है। पिछले साल ग्वार की बिजाई 3 लाख 50 हजार हेक्टेयर में हुई थी। इतनी बिजाई इस वर्ष नहीं हो पाएगी, क्योंकि किसान मूंग को ज्यादा महत्व देने लगे हैं।
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बिजाई का रकबा बढे़गा

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार मूंग की बिजाई का समय 15 जुलाई है। इस बार सिंचाई पानी की कमी और बारिश के कारण अब तक बिजाई कम हुई है। अब सिंचाई पानी की कमी दूर हुई है और मानसून ने भी दस्तक दे दी है तो किसान बिजाई के लिए तैयार बैठे हैं। सिंचाई पानी की कमी से जो किसान कॉटन की बिजाई नहीं कर पाए वह अब मूंग की बिजाई करेंगे। ऐसा अनुमान है कि 15 जुलाई तक किसान लक्ष्य से अधिक मूंग की बिजाई कर चुके होंगे।

मूंग के मिल रहे अच्छे भाव

ग्वार की तुलना में मूंग किसानों की पहली पसंद बनने की मुख्य वजह है इसके भाव अच्छे होना। मूंग का समर्थन मूल्य 8700 रुपए प्रति क्विंटल होने से किसान मूंग की ज्यादा बिजाई करने लगे हैं। ग्वार के भाव तो अब 4500 से 5000 के बीच रहने लगे हैं। पिछले सालों में इसके झाड़ में भी कमी आई है। जो इसके प्रति किसानों का मोह भंग होने की एक वजह मानी जा रही है।

पिछले साल का आंकड़ा

पिछले साल 15 जुलाई तक श्रीगंगानगर डिवीजन में मूंग की बिजाई के लक्ष्य 1 लाख 98 हजार 100 हेक्टेयर के विपरीत 1 लाख 82 हजार 627 हेक्टेयर में बिजाई हुई थी जो लक्ष्य का 92.19 प्रतिशत थी। इस बार 2 लाख 40 हजार हेक्टेयर के लक्ष्य के विपरीत 1 लाख 5 हजार 179 हेक्टेयर में मूंग की बिजाई अब तक हो पाई है, जो लक्ष्य का 43. 82 प्रतिशत है।

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