श्री श्याम मंदिर कमेटी ने स्पष्ट किया है कि यह हर वर्ष की तरह एक नियमित धार्मिक प्रक्रिया है, जिसके तहत बाबा श्याम को पंचद्रव्यों से स्नान कराकर विशेष शृंगार किया जाता है। इस पूरे अनुष्ठान में लगभग 8 से 12 घंटे का समय लगता है। कमेटी ने भक्तों से अपील की है कि वे मंदिर आने की योजना तिलक श्रृंगार की समयावधि को ध्यान में रखते हुए बनाएं।
कमेटी के मंत्री ने क्या बताया
कमेटी के मंत्री मानवेंद्र सिंह चौहान ने जानकारी देते हुए कहा कि यह निर्णय परंपरा और पूजा की विधि को निभाने के लिए लिया गया है। भ्रम की कोई स्थिति न बने, इसके लिए पहले से सूचना दी जा रही है। उन्होंने कहा कि बाबा श्याम के भक्त जिस आस्था से यहां आते हैं, उसी भावना से कुछ घंटों का इंतज़ार भी उनके और भगवान के रिश्ते को और गहरा करता है।
बाबा श्याम: श्रद्धा, बलिदान और विश्वास का प्रतीक
बाबा श्याम को ‘हारे के सहारे’ और कलियुग के देवता के रूप में पूजा जाता है। उनकी महिमा महाभारत काल से जुड़ी है, जब भीम के पौत्र बर्बरीक ने युद्ध में भाग लेने से पहले भगवान श्रीकृष्ण को अपना शीश दान किया था। इस महान बलिदान से प्रसन्न होकर श्रीकृष्ण ने आशीर्वाद दिया कि कलियुग में वे श्याम के नाम से पूजे जाएंगे और भक्तों की हर कठिनाई में सहारा बनेंगे।
आज भी लाखों श्रद्धालु बाबा श्याम के दरबार में अपनी आस्था और विश्वास लेकर पहुंचते हैं। मंदिर कमेटी ने सभी भक्तों से आग्रह किया है कि वे इस परंपरा का सम्मान करें और दर्शन के लिए मंदिर तभी आएं जब कपाट पुनः खुल चुके हों।