दिल्ली में पत्रकारिता कर रहीं मेघा उपाध्याय ने सोशल मीडिया पर इस पूरी घटना का वीडियो और बिल साझा करते हुए लिखा कि वह अपने माता-पिता के साथ खाटू श्यामजी दर्शन के लिए गई थीं। सुबह 6 बजे होटल से निकले और 7 बजे तक मंदिर की लंबी लाइन में लग गए। उनकी मां, जो लंबे समय से दर्शन की इच्छा रखती थीं, बिना शिकायत के घंटों लाइन में खड़ी रहीं।
लेकिन इसी दौरान अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई, पेट में तेज दर्द और उल्टी जैसा महसूस होने लगा। परिवार ने इधर-उधर वॉशरूम ढूंढा, लेकिन एक किलोमीटर के दायरे में कोई भी साफ-सुथरा सार्वजनिक वॉशरूम नहीं मिला।
होटल वालों ने मदद की जगह वसूले पैसे
मेघा ने बताया कि जब हालात गंभीर हो गए तो वे पास के एक होटल में पहुंचे। रिसेप्शन पर विनती की कि उन्हें कोई कमरा नहीं चाहिए, बस कुछ मिनटों के लिए वॉशरूम इस्तेमाल करने देना चाहिए। लेकिन होटल स्टाफ ने मां की खराब हालत देखने के बावजूद बिना किसी सहानुभूति के कहा कि वॉशरूम इस्तेमाल करने के लिए 800 रुपये चुकाने होंगे। कोई विकल्प न देख परिवार ने यह रकम चुकाई। जब बिल मांगा गया तो रिसेप्शनिस्ट पहले आनाकानी करने लगा, फिर 805 रुपये (GST सहित) का बिल दिया गया। यह सब कुछ उस समय हो रहा था जब महिला दर्द से कराह रही थी और मुश्किल से खड़ी हो पा रही थीं।
मेघा उपाध्याय की आपबीती-
मेघा ने अपनी पोस्ट में लिखा कि दुख इस बात का नहीं कि हमें पैसे देने पड़े। दुख इस बात का है कि किसी ने हमारी मां की पीड़ा देखकर भी सबसे पहले पैसे मांगे। इंसानियत मरती हुई नजर आई। क्या वाकई हम आगे बढ़ रहे हैं या अपनी आत्मा खोते जा रहे हैं?
यह घटना किसी अनजाने इलाके में नहीं, बल्कि देश के प्रतिष्ठित धार्मिक स्थलों में से एक, खाटू श्यामजी के द्वार पर हुई, जहां श्रद्धालु आस्था, दया और करुणा की तलाश में आते हैं।
सोशल मीडिया पर उठी नाराजगी
जैसे ही यह वीडियो वायरल हुआ, सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। हजारों लोगों ने सवाल उठाए कि धार्मिक स्थलों पर न्यूनतम मानवता और बुनियादी सुविधाओं की अनुपलब्धता आखिर कब सुधरेगी। कई यूजर्स ने स्थानीय प्रशासन से इस मामले पर सख्त कार्रवाई और मंदिर परिसर के आसपास साफ-सुथरे पब्लिक टॉयलेट्स उपलब्ध कराने की मांग की है। सरकारी दावों पर भी उठे सवाल
गौरतलब है कि राजस्थान सरकार ने खाटू श्यामजी को विश्वस्तरीय धार्मिक स्थल बनाने के लिए 100 करोड़ रुपये के विकास कार्यों की घोषणा की है। लेकिन इस घटना ने बुनियादी सुविधाओं की गंभीर कमी और व्यवस्थाओं की हकीकत उजागर कर दी है। अगर एक बीमार महिला को शौचालय जैसी बुनियादी सुविधा तक नहीं मिल पाती, तो विश्वस्तरीय प्रबंधन का सपना किस तरह पूरा होगा, यह बड़ा सवाल है।
डिस्क्लेमर- हालांकि राजस्थान पत्रिका इस खबर की पुष्टी नहीं करता है, लेकिन सोशल प्लेटफॉर्म पर इस तरह के वीडियो और कंटेट उपलब्ध है। इसी आधार पर यह खबर बनाई गई है।