1576 लाभार्थियों को राशि हुई स्वीकृत
पीएम आवास योजना (ग्रामीण) के तहत साल 2016 से 2022 तक 1576 लाभार्थियों ने स्वीकृत राशि के बावजूद आवास का निर्माण नहीं कराया। सरकार के द्वारा ऐसे डिफाल्टरों के नाम हटाकर सामाजिक-आर्थिक जनगणना (एसइसीसी-2011) सूची के आधार पर नए पात्रों को आवास स्वीकृत करने का निर्णय लिया है। इस कदम से जरूरतमंदों का अपने पक्के घर का सपना पूरा होगा।
साल 2016-17 में शुरू हुई योजना का लक्ष्य हर पात्र व्यक्ति को पक्का घर उपलब्ध कराना था। इसके लिए लाभार्थियों को राशि दी गई, लेकिन कुछ ने इसका दुरुपयोग किया, कुछ ने घर निर्माण शुरू ही नहीं किया, और कुछ पलायन कर गए। शुरुआत में अधिकारियों ने इस पर ध्यान नहीं दिया, जिससे राशि अनुपयोगी रही। बाद में समीक्षाओं में इन कमियों का पता चला। भारत सरकार ने 14-15 जुलाई को हुई परफॉर्मेंस रिव्यू कमेटी (पीआरसी) की बैठक में लंबित आवासों की स्थिति पर चिंता जताई और तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए।
नए पात्र लाभार्थियों को स्वीकृति की प्रक्रिया शुरु
सतना में 21 आवास लंबित हैं, जिनमें 2016-17 में 4, 2017-18 में 6, 2019-20 में 1, 2020-21 में 2, और 2021-22 में 8 आवास शामिल हैं। परियोजना अधिकारी गौरव शर्मा के अनुसार इन लंबित आवासों की राशि वसूल कर ली गई है। अब एसईसीसी सूची के आधार पर नए पात्र लाभार्थियों को स्वीकृति देने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
क्या है प्रदेश के अन्य जिलों की स्थिति
8 जुलाई तक की स्थिति में श्योपुर जिले में सबसे अधिक 302 आवास लंबित हैं। इसके बाद छिंदवाड़ा (152), अलीराजपुर (130), बुरहानपुर (90), सीधी (81), बालाघाट (76), रीवा (69), सिंगरौली (49), धार (40), और छतरपुर (38) शामिल हैं। वहीं, अनूपपुर, हरदा, नीमच, निवाड़ी, सागर और शिवपुरी जैसे जिलों ने 2016-22 के बीच सभी स्वीकृत आवास पूरे किए, जो शत-प्रतिशत लक्ष्य प्राप्ति का उदाहरण है।
डिफाल्टरों पर यह दिया समाधान
समीक्षा में सामने आया कि 1576 लाभार्थियों ने आवास निर्माण नहीं किया। इसके पीछे लाभार्थी का निधन, वारिस का अभाव, राशि का दुरुपयोग और पलायन शामिल हैं। सरकार ने इनके नाम हटाकर नए पात्र लाभार्थियों का चयन करने का निर्णय लिया है। यदि किसी जिले में पात्र लाभार्थी नहीं मिलते, तो लक्ष्य समर्पित करने के निर्देश दिए गए हैं।